मंत्री स्मृति ईरानी के आरोपों के बाद राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ली गई जमीन के मालिकाना हक के मामले में बुधवार को नया मोड़ आया है। कागजों में अंकित सम्राट बाइसकिल के मालिकाना हक को गौरीगंज उपजिलाधिकारी न्यायालय ने अवैध करार देते हुए जमीन को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। डीएम जगतराज ने फर्जीवाड़े की जांच एसडीएम गौरीगंज वंदिता श्रीवास्तव को सौंपते हुए रिपोर्ट तलब की है। डीएम ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई होगी। वर्ष 1984-85 में यूपीएसआइडीसी ने गौरीगंज तहसील के कौहार एवं भनियापुर ग्राम पंचायत के किसानों से 206.849 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी।
आठ अगस्त 1986 को मेसर्स सम्राट बाइसकिल ने इसमें से 65.57 एकड़ जमीन 90 साल के लिए लीज पर ली थी। अधिकारियों की माने तो वर्ष 1988-89 में राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से सम्राट कंपनी के मालिकों ने पट्टे की जमीन के अलावा गाटा संख्या 00600 की पूरी 123.157 एकड़ जमीन मेसर्स सम्राट बाइसकिल लिमिटेड के नाम दर्ज करा ली। नवंबर 2014 में यूपीएसआइडीसी के अधिकारियों ने इस फर्जीवाड़े का मुकदमा गौरीगंज एसडीएम के न्यायालय में दायर किया। जिस पर बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए खतौनी से मेसर्स सम्राट बाइसकिल का नाम काटकर यूपीएसआइडीसी का नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। यूपीएसआइडीसी ने आठ अगस्त, 1986 को 65.57 एकड़ भूमि सम्राट बाइसकिल को 99 वर्ष के लिए लीज पर दी थी।
उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और अमेठी सांसद राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उन्हीं के कहने पर जैन बंधुओं ने यहां सम्राट साइकिल का कारखाना खोला था। वर्ष 1989 में कांग्रेस सरकार के जाते ही कंपनी के बुरे दिन शुरू हो गए। कंपनी घाटे में जाने लगी। इसीबीच कंपनी ने खतौनी में अपना नाम दर्ज करा मालिकाना हक बना लिया। इसके बाद कंपनी बंद हो गई। कंपनी पर भारी लोन के चलते इसकी कुर्की हुई और अंत में दिल्ली हाईकोर्ट की निगरानी में 27 फरवरी 2015 को डीआरटी ने इसे नीलाम कर दिया। नीलामी में सर्वाधिक बीस करोड़ दस लाख की बोली लगाकर राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने जमीन को खरीद लिया था।