मदरसों को स्कूल मानने से किया इंकार

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प्राथमिक शैक्षिक विषय नहीं पढ़ाने वाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा और इसमें पढ़ने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर बच्चा माना जाएगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा कि मदरसा छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा दे रहे हैं और औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। हमारे संविधान में सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार की बात कही गई है हालांकि मदरसा इसे प्रदान नहीं करते हैं। खडसे ने कहा कि अगर एक हिन्दू या ईसाई बच्चा मदरसा में पढ़ना चाहता है तो उन्हें वहां पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसलिए मदरसा एक स्कूल नहीं है बल्कि धार्मिक शिक्षा का स्रोत है। इसलिए हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय भी पढ़ाने को कहा है। अन्यथा इन मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं (नान स्कूल) माना जाएगा।

वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने एक विवादास्पद पहल के तहत आज ऐसे मदरसों की मान्यता समाप्त करने का निर्णय किया जो छात्रों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे औपचारिक विषय नहीं पढ़ाते और केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं। पा्रथमिक विषय नहीं पढ़ाने वाले पंजीकृत मदरसों को राज्य सरकार औपचारिक स्कूल (नान स्कूल) की श्रेणी में रखेगी और इसमें पढ़ने वाले बच्चों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। महाराष्ट्र सरकार की इस पहल से मुस्लिम नेताओं और विपक्षी दलों में नाराजगी देखी जा रही है। राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने पीटीआई भाषा से कहा कि मदरसा छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा दे रहे हैं और औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। हमारे संविधान में सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार की बात कही गई है हालांकि मदरसा इसे प्रदान नहीं करते हैं।

खडसे ने कहा कि अगर एक हिन्दू या ईसाई बच्चा मदरसे में पढ़ना चाहता है तो उन्हें वहां पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसलिए मदरसा एक स्कूल नहीं है बल्कि धार्मिक शिक्षा का केन्द्र है। इसलिए हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय भी पढ़ाने को कहा है। अन्यथा इन मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं (नान स्कूल) माना जाएगा। खडसे ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों की मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी ने इस बारे में स्कूली शिक्षा एवं खेल मामलों के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। खडसे ने कहा कि स्कूली शिक्षा विभाग ने चार जुलाई को छात्रों का सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है जो औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों में जहां औपचारिक शिक्षा नहीं प्रदान की जाती है, वहां पढने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा।

ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद केवल इतना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक बच्चे को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले, उसे अच्छी नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो। मंत्री ने कहा कि राज्य में पंजीकृत 1890 मदरसों में से 550 ने छात्रों को चार विषय पढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने पर हम मदरसों को भुगतान करने को भी तैयार हैं।एआईएमआईएम के अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी ने सरकार की पहल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वैदिक शिक्षा प्राप्त के वाले छात्रों को भी स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। उन्होंने कहा कि कई मदरसा हैं जो गणित, अंग्रेजी और विज्ञान पढ़ाते हैं।

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