किसानो से वैज्ञानिक प्रणाली अपनाने का आग्रह

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हरित क्रांति की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसान समुदाय से खाद्यान्न उत्पादन खासकर दलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाने को कहा। कम पैदावार के चलते भारत को दालों का आयात करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान अच्छी गुणवत्ता के बीजों, पर्याप्त जल, बिजली, सही मूल्य और उपज के लिए बाजार की उपलब्धता के मामले में अब भी काफी पिछड़े हैं।भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की आधारशिला रखते हुए उन्होंने कहा, जब तक हम एक संतुलित एवं समग्र योजना तैयार नहीं करते, हम किसानों का जीवन बदलने की स्थिति में नहीं होंगे। उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से खेती किए जाने की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने कहा कि यह समय देश में दूसरी हरित क्रांति लाने का है क्योंकि इस तरह की पहली क्रांति बहुत पहले आई थी। मोदी ने कहा कि भारत के उत्तरी हिस्से में दूसरी हरित क्रांति लाने की क्षमता है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, ओड़िशा में हो सकती है।

‘हर बूंद, अधिक फसल’ पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में मृदा के स्वास्थ्य का निर्धारण करने के लिए और अनुसंधान की जरूरत है और बीजों, जल की गुणवत्ता, उर्वरक की मात्रा के लिहाज से मिट्टी के स्वास्थ्य की स्थिति जानना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सरकार मिट्टी की जांच करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने की दिशा में कदम उठा रही है ताकि मनुष्य के लिए पैथोलाजिकल लैब की तर्ज पर मिट्टी के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जा सकें। इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। दलहनों के बारे में उन्होंने कहा कि भारत को इसलिए इनका आयात करना पड़ता है क्योंकि उत्पादन कम है। दलहनों की खेती में लगे किसानों को विशेष पैकेज दिया गया है।

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