प्रियंका की लैंड डिटेल्स पर हाई कोर्ट की रोक

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प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा शिमला के करीब खरीदी गई जमीन से जुड़ी जानकारी 10 दिन के भीतर देने से जुड़े राज्य सूचना आयोग के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। 29 जून को आयोग ने शिमला के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से यह जानकारी देने के लिए कहा था। राज्य सूचना आयोग की डबल बेंच ने कहा था कि प्रियंका को एसपीजी निजी सुरक्षा के लिए दी गई है, उनकी जमीन के लिए नहीं।हाईकोर्ट ने माना कि आयोग ने उस कहावत को नजरअंदाज किया जिसके मुताबिक, हर व्यक्ति के लिए उसका घर महल होता है। इस वजह से उसकी प्राइवेसी में दखल से बढ़कर उस शख्स की खुशियों और सुरक्षा के लिए ज्यादा नुकसानदायक कुछ भी नहीं है। कोर्ट के मुताबिक, किसी शख्स को यह आजादी संविधान का आर्टिकल 21 भी देता है।

हाईकोर्ट की बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता ने मांगी गई जानकारी देने के विरोध में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट 1988 (जिसमें 1991,1994,1999 में बदलाव हुए) के सेक्शन 8(1)(g) का हवाला दिया था। याचिकाकर्ता एसपीजी से सुरक्षा प्राप्त शख्स है, जिसे घरेलू और अंतराष्ट्रीय, दोनों तरह का खतरा है। याचिकाकर्ता की सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के पास रखा याचिकाकर्ता से जुड़ा कोई भी दस्तावेज न केवल उसकी निजी जिंदगी में अनचाहा दखल साबित होगा, बल्कि इसकी जानकारी सार्वजनिक होने पर उसकी जान को खतरा हो सकता है। शिमला के छराबड़ा क्षेत्र में मौजूद प्रियंका की जमीन पर समर हाउस का निर्माण कराया जा रहा है। इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी एक स्थानीय शख्स के पास है।

पिछले साल आरटीआई एक्ट के तहत आवेदन करके प्रियंका वाड्रा की जमीन की रजिस्ट्री, फाइल नोटिंग और जमीन के मौजूदा स्टेटस के बारे में देवाशीष भट्टाचार्य ने जानकारी मांगी थी। इस मामले में शिमला के एडीएम ने आरटीआई आवेदन के एक हिस्से को रद्द कर दिया। फैसले में कहा गया कि खसरा नंबर से संबंधित जानकारी सुरक्षा कारणों से दी नहीं जा सकती, जबकि फाइल नोटिंग संबंधी जानकारी जारी हो सकती है। याचिकाकर्ता ने एडीएम के फैसले से सहमत न होते हुए बीते साल 2 सितंबर को अपील दायर की थी। अपील में उन्होंने कहा था कि जमीन के हर हिस्से की जानकारी गूगल से हासिल की जा सकती है, इसलिए सुरक्षा कारण आड़े नहीं आते। याचिकाकर्ता का तर्क है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रियंका को कानून में संशोधन करते हुए शिमला के पास जमीन खरीदने की मंजूरी दी थी, इसलिए सरकार द्वारा फाइलों पर लिखे गए नोटों को सार्वजनिक होने से रोका नहीं जा सकता है।

भट्टाचार्य ने कहा कि हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि कहीं जमीन खरीद की अनुमति देने में कोई अनियमितता तो नहीं हुई। प्रियंका के वकील ने सुरक्षा को खतरे वाली बात पर जोर देते हुए कहा था, “यह बात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की 21 नवंबर 2014 की चिट्ठी से भी स्पष्ट हो जाती है, जिसमें संबंधित अधिकारियों को सलाह दी गई है कि जानकारी देने से उनकी सुरक्षा को खतरा होगा।” प्रियंका वाड्रा की तरफ से जमीन से जुड़ी जानकारी न देने को लेकर एसपीजी डायरेक्टर की चिट्ठी का भी हवाला दिया जा चुका है।

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