हीरो साइकिल के चेयरमेन ओमप्रकाश मुंजाल का निधन

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हीरो साइकिल के चेयरमेन ओमप्रकाश मुंजाल का 86 वर्ष की आयु में गुरवार को निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार में एक बेटा पंकज मुंजाल और चार बेटियां हैं। उनकी पत्नी का कुछ महीने पहले देहांत हो गया था।कभी 25 साइकिलें हर दिन बनाने वाली मुंजाल की कंपनी ‘हीरो’ अब रोजाना 19 हजार साइकिलें बनाती है। देश के साइकिल बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के 89 देशों में साइकिल निर्यात करती है।1634 करो़ड़ रुपए सालाना टर्नओवर करने वाली कंपनी का प्रमुख पिछले महीने ही पंकज को बनाया जा चुका है।

मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी हीरो मोटरकॉर्प ओपी के भाई ब्रजमोहनलाल मुंजाल की कंपनी है।भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कमालिया (अब पाकिस्तान में) में 26 अगस्त 1928 को ओपी मुंजाल का जन्म हुआ था। उनके पिता बहादुरचंद की अनाज की दुकान थी। 10वीं तक पढ़े ओपी ने 1944 में अमृतसर में अपने तीन भाइयों ब्रजमोहन लाल मुंजाल, दयानंद मुंजाल और सत्यानंद मुंजाल के साथ एक साइकिल स्पेयर पा‌र्ट्स का कारोबार शुरू किया। बंटवारे का बुरा असर अमृतसर में कारोबार पर पड़ा। तब ओपी मुंजाल भाइयों को लेकर लुधियाना आ गए। 1956 में ओपी मुंजाल ने बैंक से कर्ज लेकर 50 हजार रुपए की पूंजी के साथ साइकिल निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा।

लुधियाना में इसके पा‌र्ट्स बनाने की यूनिट लगाई। उसी साल पूरी साइकिल असेम्बल करना शुरू किया। खुद मुंजाल बंधु टायर-ट्यूब लेने लुधियाना से जालंधर जाते थे और तब भी उन्हें अपनी जरूरत के मुताबिक टायर-ट्यूब नहीं मिलते थे। इसके अलावा चेन, हब और फ्री व्हील के लिए भी पूरी तरह से आयात पर निर्भर रहना पड़ता था। जम्मू के एक डीलर का साइकिल से भरा वाहन जल गया तो उसने दुकान बंद करने का फैसला किया इस पर ओपी ने उसे राख के साथ बुलाया और उसके द्वारा दिया गया सारा पैसा लौटा दिया। उस वक्त हरियाणा के सोनीपत में एटलस साइकिल कंपनी थी जिससे हीरो का मुकाबला था। एटलस 1951 में शुर हुई थी।

हीरो साइकिल्स ने 10 साल के भीतर ही 1966 में सालाना एक लाख साइकिल की उत्पादन क्षमता हासिल कर ली। इसके बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगले दस साल में यह क्षमता बढ़कर पांच लाख से अधिक हो गई। 1986 तक हीरो सालाना 22 लाख से अधिक साइकिलों का उत्पादन करने लगा था। 1980 के दशक में हीरो साइकिल ने रोजाना 19 हजार साइकिलों के उत्पादन के साथ दुनिया की सबसे ब़़डी साइकिल कंपनी का दर्जा हासिल किया। इस उपलब्धि के लिए 1986 में कंपनी का नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ। 2004 में हीरो साइकिल को ब्रिटेन में सुपर ब्रांड का दर्जा हासिल हुआ।

आज हीरो साइकिल्स 14 करोड़ साइकिलों के निर्माण के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी का दर्जा हासिल कर चुकी है। कंपनी के फिलहाल 30 हजार कर्मचारी और दुनियाभर में 7500 आउटलेट्स हैं। हीरो के प्रबंधन की बीबीसी और व‌र्ल्ड बैंक ने भी तारीफ की है। लंदन बिजनेस स्कूल और इंसीड फ्रांस में हीरो कंपनी पर आंत्रप्रिन्योरशिप के लिए केस स्टडी किया जाता है। हीरो साइकिल को इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट के लिए लगातार 28 साल से बेस्ट एक्सपोर्टर अवॉर्ड से नवाजा जा रहा है। लुधियाना के साइकिल कारोबारी सौरभ डभवाल के अनुसार लुधियाना को आज साइकिल सिटी का दर्जा दिलाने में ओपी मुंजाल का बड़ा योगदान है।

आज लुधियाना में 10 हजार से छोटी साइकिल इकाइयां हैं। हीरो के साथ लुधियाना में साइकिल इंडस्ट्री से जुड़ा पूरा ईकोसिस्टम विकसित हो चुका है। पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वीवी गिरि, जैल सिंह और एपीजे अब्दुल कलाम ओपी मुंजाल को सम्मानित कर चुके हैं। 1990 में उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता अवॉर्ड दिया गया। ओपी को उर्दू शायरी काफी पसंद थी। 1994 में उन्हें साहित्य सेवा के लिए साहिर पुरस्कार दिया गया। वह बड़े परोपकारी थे। उन्होंने कई स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों को दान किया। उन्हें पंजाब रत्न अवॉर्ड भी दिया गया था। 

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