मारन जमानत रद्द होने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

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मंत्री दयानिधि मारन ने अपने आवास पर कथित तौर पर टेलीफोन एक्सचेंज लगाने संबंधी एक मामले में अपनी जमानत रद्द करने और आत्मसमर्पण के लिए कहे जाने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति आर भानुमति की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में अग्रिम जमानत मांगने वाली याचिका की तत्काल सुनवाई करने पर सहमति जता दी है। मारन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए और उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई करने के लिए सूचीबद्ध करने की मांग की। मद्रास उच्च न्यायालय ने टेलीफोन एक्सचेंज मामले में कल मारन की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी थी और राजनीतिक द्वेष के उनके आरोपों को खारिज करते हुए तीन दिन के भीतर सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अवैध तरीके से टेलीफोन कनेक्शन हासिल करने में ‘प्रथम दृष्टया’ मारन ने अपने पद का ‘दुरुपयोग’ किया और सबूतों से उनके खिलाफ आरोपों की पुष्टि होती है।सीबीआई ने मारन और अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि दयानिधि मारन 2004 से 2007 तक जब दूरसंचार मंत्री थे उस दौरान 300 से अधिक हाई स्पीड टेलीफोन लाइनें यहां उनके आवास पर प्रदान की गई और इसे उनके भाई कलानिधि मारन के सन टीवी चैनल को दिया गया ताकि उसकी अपलिंकिंग को सक्षम बनाया जा सके।

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