सर्वदलीय बैठक रही बेनतीजा

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सरकार की ओर से बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष और कांग्रेस के अपने अपने रवैया पर अड़े रहने के कारण कोई नतीजा नहीं निकल पाया.बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ही बल्कि सभी विपक्षी दल संसद चलाना चाहते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से सरकार चाहती है कि हर काम उसकी शर्तों पर हो. वह संसद चलाने की बात करती है लेकिन ललित मोदी प्रकरण और व्यापम घोटाले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा कि सरकार इस रवैये के कारण बैठक का नतीजा ‘शून्य’ रहा.

सरकार ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह सदन में हर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन कांग्रेस ही अड़यिल रवैया अपना रही है. संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडु ने कहा कि सरकार विपक्ष की बातें मानती रहीं है और इसी के कारण उसने कई विधेयकों को विभिन्न संसदीय समितियों के पास भेजा. उनका कहना था कि कांग्रेस और एक दो अन्य पार्टियों को छोड़कर सभी दल मानते है कि संसद की कार्यवाही चले और चर्चा हो.  

आजाद ने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं चल सकता कि सिर्फ अपनी बातें मनवाती रहे. सरकार को कुछ बातें विपक्ष की माननी चाहिए और विपक्ष भी उसकी बात सुनेगा. सरकार ‘‘राजा’’ की तरह से काम करना चाहती है जो संभव नहीं  है.आजाद ने कहा कि कांग्रेस का रूख स्पष्ट है कि ललित मोदी प्रकरण और व्यापम घोटाले के आरोपी मंत्रियों के इस्तीफे के बिना कोई चर्चा नहीं हो सकती. 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी ने कहा कि ललित मोदी प्रकरण में विदेश मंत्री की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और जाँच का निष्कर्ष आने तक उन्हें पद पर नहीं रहना चाहिए लेकिन सरकार ने बैठक में इस बारे में कोई प्रस्ताव या सुझाव पेश नहीं किया. सरकार का जोर सिर्फ संसद की कार्यवाही चलाने पर था. उन्होंने कहा कि बैठक में इसके कारण कोई नतीजा नहीं निकल पाया. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप्त बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में चर्चा चाहती है और कार्यवाही चलाने के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को कोई रास्ता निकालना चाहिए. संसद चलाने की मुख्य जिम्मेदारी इन्हीं दोनों दलों पर हैं.

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