परफॉर्मेंस देखी जाती है, पोजिशन नहीं!

एक बार एक पादरी की मृत्यु हो गई। वे स्वर्ग की वेटिंग लाइन में खड़े थे। उनके आगे काला चश्मा, जींस, लेदर जैकेट पहनकर एक लड़का भी खड़ा था।

धर्मराज (लड़के से): कौन हो तुम?
लड़का: महाराज, मैं एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हूूं।
धर्मराज: ये लो सोने की शाल और अंदर आकर गोल्डन रूम ले लो।

धर्मराज (पादरी से): तुम कौन हो?
पादरी: मैं पादरी हूं। 40 सालों से लोगों को भगवान के बारे में बताया करता था।
धर्मराज: ये लो सूती वस्त्र और अंदर आ जाओ।
पादरी: प्रभु, ये तो गलत है। तेज गति से गाड़ी चलाने वाले को सोने की शाल और जिसने पूरा जीवन भगवान का ज्ञान दिया, उसे सूती वस्त्र। ऐसा क्यों?
धर्मराज: परिणाम, मेरे बच्चे परिणाम… जब तुम ज्ञान देते थे सभी भक्त सोते रहते थे। लेकिन जब यह ऑटो ड्राइवर आॅटो रिक्शा तेज चलाता था, तब लोग सच्चे मन से भगवान को याद करते थे।

हमेशा परफॉर्मेंस देखी जाती है, पोजिशन नहीं।

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