॰ ऋग्वेद ( 4/32/20&21) का प्रसिद्ध मन्त्र इस प्रकार है – “ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मादभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतरू पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नोभजस्व राधसि।।” (हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़ेदानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थनाकरता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं – उसकी झोलीभर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।)
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निम्न मन्त्र को शुभमुहूर्त्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमपूर्वक 5 माला श्रद्धा से भगवान्श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहे – “ॐ क्लीं नन्दादि गोकुलत्राता दातादारिर्द्यभंजन।सर्वमंगलदाता च सर्वकाम प्रदायकरू। श्रीकृष्णाय नम: ॰
भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानीकुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानीको घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं।