Five Unknown Facts About Kumbhakarna जानें कुंभकर्ण से जुडी 5 रोचक बातें

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Five Unknown Facts About Kumbhakarna: रावण के कनिष्ठ भ्राता कुम्भकर्ण ने ब्रह्माजी से छः महीने लंबी नींद का वरदान मांगा था। इस वरदान को ब्रह्माजी ने सहर्ष स्वीकृत भी कर दिया था और तत्क्षण राक्षसराज कुम्भकर्ण छः महीने की निद्रा में चला गया। यहां तक कि युद्ध के दौरान जब रावण को लगा कि अब सेना का नेतृत्व करने के लिए कुम्भकर्ण को लाना चाहिए तो उसे जगाने के लिए बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

खैर ये तो बहुत ही चर्चित कथा है। आइए अब हम आपको कुम्भकर्ण के उस दूसरे रूप से रूबरू करवाते हैं जो बेहद रहस्यमय होने के साथ ही रोचक भी है। कहा जाता है कि रावण अपने समय का सर्वाधिक विद्वतजन था। उसके खानदान में एक से एक धुरंधर पड़े थे, जिनकी बौद्धिक क्षमता तत्कालीन विश्व में अतुलनीय थी।

आइए जानते है रावण के भाई कुम्भकर्ण से जुडी कुछ रोचक बातें।

1. ब्रह्मा जी ने दिया था छः महीने सोने का वरदान

रावण, विभीषण और कुंभकर्ण तीनों भाईयों ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो कुंभकर्ण को वरदान देने से पहले चिंतित थे।

इस संबंध में श्रीरामचरित मानस में लिखा है कि-

पुनि प्रभु कुंभकरन पहिं गयऊ। तेहि बिलोकि मन बिसमय भयऊ।

इसका अर्थ यह है कि रावण को मनचाहा वरदान देने के बाद ब्रह्माजी कुंभकर्ण के पास गए। उसे देखकर ब्रह्माजी के मन में बड़ा आश्चर्य हुआ।

जौं एहिं खल नित करब अहारू। होइहि सब उजारि संसारू।।

सारद प्रेरि तासु मति फेरी। मागेसि नीद मास षट केरी।।

ब्रह्माजी की चिंता का कारण ये था कि यदि कुंभकर्ण हर रोज भरपेट भोजन करेगा तो जल्दी ही पूरी सृष्टि नष्ट हो जाएगी। इस कारण ब्रह्माजी ने सरस्वती के द्वारा कुंभकर्ण की बुद्धि भ्रमित कर दी थी। कुंभकर्ण ने मतिभ्रम के कारण 6 माह तक सोते रहने का वरदान मांग लिया।

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