15-16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान समरकंद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक बैठक हो सकती है।राजनयिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि की।
अप्रैल में पदभार ग्रहण करने के बाद से, शरीफ ने अभी तक चीन की यात्रा नहीं की है, जिसे बहुत ही असामान्य के रूप में देखा जाता है, क्योंकि बीजिंग अतीत में इस्लामाबाद में किसी भी नई सरकार की स्थापना के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाले स्थलों में से एक रहा है।
जबकि कई लोग मानते हैं कि इसका कारण चीनी सरकार द्वारा सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना है, लेकिन देरी का कारण केवल महामारी तक ही सीमित नहीं हो सकता है।प्रधानमंत्री को अब आगामी शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति के साथ आमने-सामने बैठक करने का अवसर मिल सकता है।
हालांकि कथित बैठक के बारे में अफवाहें पहले से ही चल रही हैं, मगर दोनों पक्षों ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।इस बात की भी कोई निश्चितता नहीं है कि शी व्यक्तिगत रूप से शिखर सम्मेलन में उपस्थित होंगे, क्योंकि कई लोगों ने कहा है कि वे इसे केवल वर्चुअली संबोधित कर सकते हैं।
एससीओ शिखर सम्मेलन का बहुत महत्व है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शिरकत करेंगे।राजनयिक सूत्रों ने कहा है कि पाकिस्तान पुतिन और शरीफ के बीच द्विपक्षीय बैठक के अवसर की दिशा में भी काम कर रहा है।
भारत एससीओ के अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालेगा और इस दौरान मोदी और शरीफ के बीच शिष्टाचार भेंट की उम्मीद है।सूत्रों में से एक ने कहा पाकिस्तान में सरकार बदलने के बाद किसी तरह की गिरावट के लिए शुरूआती आशावाद के बावजूद, द्विपक्षीय मोर्चे पर किसी सकारात्मक मूवमेंट का कोई संकेत नहीं मिला है।
आशावाद एक धूमिल संभावना प्रतीत होता है, क्योंकि दोनों पड़ोसियों के बीच अपने-अपने स्वतंत्रता दिवस पर कोई आधिकारिक संचार नहीं हुआ था।लेकिन दोनों पक्षों के सैनिकों ने सीमा पर मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान किया।
भारत-पाकिस्तान संबंध 2019 के बाद से सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों के बीच खटास तब अधिक बढ़ गई थी, जब केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बदलने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त कर दिया था।
लेकिन तनाव के बावजूद पाकिस्तान ने अक्टूबर में भारत में बहुराष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी अभ्यास में भाग लेने की इच्छा दिखाई है।अगर ऐसा होता है, तो यह पहली बार होगा जब पाकिस्तान भारत में अपनी टुकड़ी भेजेगा।