भारत और पाकिस्तान की सेना 15 साल पुराने संघर्ष विराम समझौते का पूरी तरह पालन करने पर सहमत हो गई हैं। मंगलवार शाम 6 बजे दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन पर बातचीत के दौरान पाक ने संघर्ष विराम समझौते का प्रस्ताव रखा, जो भारत ने स्वीकार कर लिया।
29 सितंबर 2016 को हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह पहला मौका है, जब दोनों देशों की सेना संघर्ष विराम के पालन पर सहमत हुई हैं।विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ही पाकिस्तान, डोकलाम, भारत-चीन संबंध, रोहिंग्या और विजय माल्या के प्रत्यर्पण जैसे मसलों पर मीडिया के सवालों के जवाब दिए थे।
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से विस्तृत बातचीत पर कहा कि जब सरहद पर जनाजे उठ रहे हों तो बातचीत की आवाज अच्छी नहीं लगती।जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की आेर से पिछले बुधवार को भी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया। कठुआ, सांबा और आरएसपुरा की बस्तियों और चौकियों पर मोर्टार दागे गए।
इससे 24 घंटों में यहां 7 नागरिकों की मौत हो गई और बीएसएफ के 5 जवानों समेत 35 लोग जख्मी हुए थे।पाकिस्तान इस साल अब तक 908 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है। रिहायशी इलाकों पर गोलाबारी के चलते पिछले दिनों सीमावर्ती इलाकों के एक लाख से ज्यादा लाेगों को घर छोड़कर भागना पड़ा था।
इन घटनाओं में सुरक्षाबलों के 18 जवानों सहित 43 लोगों की जान जा चुकी है। 2017 में भी पाकिस्तान ने 860 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था।इधर लखनऊ में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को रमजान के महीने में सुरक्षाबलों द्वारा ऑपरेशन नहीं करने को लेकर कहा कि सेना हाथ बांधकर नहीं बैठी है।
कश्मीर में सीजफायर नहीं है बल्कि स्पेंशन ऑफ ऑपरेशन है।मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए राजनाथ ने स्पष्ट किया कि यह युद्धविराम नहीं था, बल्कि रमजान को देखते हुए सेना ने ऑपरेशन को रोक दिया था, लेकिन इसमें साफ्तौर पर कहा गया था कि किसी भी आतंकी गतिविधि के होने पर हम ऑपरेशन दोबारा शुरू करेंगे।
हमने अपने सुरक्षाबलों के हाथ नहीं बांध रखे हैं। हमारे सुरक्षाबलों ने हमला होने पर 5 आतंकियों को मार गिराया है।राजनाथ ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर में दो दशक में उग्रवाद में 85 फीसदी कमी आई है। सुरक्षाकर्मियों और आम नागरिकों की मौत के मामले में 96 फीसदी की कमी आई है और नक्सलवाद की घटनाओं में भी कमी आई है।
गृहमंत्री के मुताबिक, नक्सलवाद 2013 में 76 जिलों तक था जो 2018 तक 58 जिलों में सीमित रह गया है। हमने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम बनाया, जिसकी विदेश में भी तारीफ हुई। 2010-2013 में 471 आतंकी मारे गए थे।