नए आव्रजन कानून के चलते तीस हजार से अधिक भारतीय व गैर यूरोपीय नर्सो की नौकरी खतरे में पड़ गई है। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन द्वारा लाए गए नए कानून के अनुसार, जिन्हें साल 2011 में यूरोपीय संघ के बाहर से लाया गया था और जो सालाना कम से कम 35,000 पाउंड लगभग (22 लाख रुपए) कमा चुकी हैं, उन्हें छह साल की अपनी सेवा के बाद घर वापस लौटना होगा। यह कानून 2017 से लागू होगा। संदीप निराश इस कानून की जद में आए एक भारतीय नर्स संदीप डुग्गानी ने कहा कि यहां आकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के साथ काम करना मेरा सपना था। पिता भी इससे बेहद खुश थे।
लेकिन नए नियम से हमारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। उसने नर्सिग की डिग्री भारत के कर्नाटक राज्य से ली हुई है। उसे भी अब 2017 तक नौकरी छोड़कर स्वदेश लौटना होगा। यही नहीं उसकी नर्स पत्नी प्रतिका भी इस कानून की चपेट आ गई है। उसने अपना करियर अभी हाल में ही शुरू किया था। पीटर भी खुश नहीं रॉयल कॉलेज ऑफ नर्सिग (आरसीएन) के महासचिव पीटर कॉर्टर ने कहा, अब जबकि नर्सो की मांग बढ़ रही है, ब्रिटेन बाहर के देशों से आने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति को नई शर्तो के साथ कठोर बना रहा है।