महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को इस हद तक नापसंद करती थीं कि वे अन्य नेताओं से मुलाकात के दौरान थैचर की नकल उतारती थीं और उनका मजाक बनाती थीं। क्वीन और थैचर के रिश्तों में तनाव के दावे अक्सर किए जाते रहे लेकिन अब डीन पामर की नई किताब में इन दोनों शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली तनातनी की झलकियां पेश की गई हैं। किताब दावा किया गया है कि दोनों दिग्गज नेताओं के बीच लगातार मतभेद रहे। ये बेहद निजी किस्म, वर्गीय नजरिये वाले और स्पष्ट रूप से महिलाओं के बीच होने वाली बहस की तरह सरीखे होते थे। बीबीसी, चैनल4 और आइटीवी के लिए डॉक्यूमेंट्रीज तैयार कर चुके पामर ने अपनी इस किताब का पहला विश्लेषण ‘द क्वीन एंड मिसेज थैचर : एन इनकंवीनिएंट रिलेशनशिप’ शीर्षक से प्रकाशित कराया है। इसमें पामर ने दावा किया है कि दोनों नेता जब भी मिलती थीं तो पहली ही नजर में एकदूसरे से नापसंदगी जता देती थीं।
कॉमनवेल्थ नेताओं से मुलाकातों के दौरान महारानी तत्कालीन प्रधानमंत्री के लिए ‘वो महिला’ कहकर संबोधित करती थीं और थैचर की पीठ पीछे उनकी खिल्ली उड़ाती थीं। वे थैचर के बोलने के तरीके की नकल उतारती थीं और कहती थीं कि, ‘शाही शेक्सपियर सन 1950 के लहजे में बोल रहे हैं।’ किताब में कहा गया कि थैचर भी क्वीन की पसंदीदा समर रिट्रीट बालमोरल में जाने से नफरत करती थीं और कहती थीं कि यह बेहद उबाऊ और समय की बर्बादी है। अर्जेटीना से फाकलैंड युद्ध के समय भी दोनों नेताओं के रिश्तों में तनाव खुलकर देखने को मिला। थैचर देश की संरक्षक और विदेशों में ब्रिटेन के चेहरे के तौर पर खुद को पेश करती नजर आती थीं।
इससे दोनों नेताओं के बीच करीब एक दशक तक निजी और राजनीतिक मंचों पर तनाव की स्थिति बनी रही। थैचर जो भाषण देती थीं वह महारानी को कभी पसंद नहीं आते थे। प्रधानमंत्री ने एक बार जब समारोहों के लिए शीर्ष नेताओं की पोशाकों में समरुपता का सुझाव दिया तो जवाब में बकिंघम पैलेस की ओर से उन्हें खासी खरी बात सुनने को मिली। शाही महल की ओर से कह दिया गया कि, ‘क्वीन इस बात पर ध्यान नहीं देतीं कि दूसरे लोगों ने क्या पहन रखा है।