भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन ने रखा अपना पक्ष

ब्रिटेन में नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर संसद में हुई बदह में वहां की सरकार ने कहा कि कृषि नीति भारत सरकार का आंतरिक मामला है और विश्वास व्यक्त किया है कि विवादास्पद कृषि कानूनों के बारे में सरकार और किसानों के बीच बातचीत का सकारात्मक परिणाम निकलेगा।

ब्रिटेन के विदेश राज्य मंत्री निगेल एडम्स ने वहां की संसद में एक बहस के दौरान कहा कृषि नीति भारत सरकार के लिए एक घरेलू मामला है। यूके सरकार का दृढ़ विश्वास है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

लेकिन हम यह भी स्वीकार करते हैं कि यदि कोई विरोध अवैधता में लाइन पार करता है, तो सुरक्षाबलों को लोकतंत्र को कानून और व्यवस्था लागू करने का अधिकार है।एडम्स ने आगे उम्मीद जताई कि भारत सरकार और किसानों के बीच बातचीत के सकारात्मक परिणाम होंगे।

बहस 10,000 हस्ताक्षरकर्ताओं के साथ एक याचिका के जवाब में आयोजित की गई थी।उन्‍होंने आगे कहा भारत में उच्च आयोगों के हमारे नेटवर्क से हमारे अधिकारियों ने सितंबर में कृषि सुधार कानूनों के जवाब में निगरानी और वापस रिपोर्ट की है, क्योंकि यह सितंबर में भड़क गया था।

हम यह भी जानते हैं कि भारत सरकार किसानों से कई बार मिली है। कई मौकों पर दोनों के बीच वार्ताएं हुए, लेकिन यह अनिर्णायक रहीं।
एडम्स ने भारत-यूके साझेदारी के महत्व को भी दोहराया और कहा कि दोनों देश वैश्विक चुनौतियों को ठीक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अच्छे के लिए एक बल के रूप में काम करेंगे।

विभिन्न किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों का विरोध किया है, अर्थात्, किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अधिनियम, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के लिए किसान समझौते। सरकार और किसान निकायों ने कई दौर की बैठक की है, जोकि गैर-निर्णायक बनी हुई है।

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