नेपाल अब नए रास्ते पर चलने को तैयार है। करीब एक दशक से संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच जारी गतिरोध समाप्त हो गया है।सोमवार की रात राजनीतिक दलों ने 16 सूत्रीय समझौते को मूर्त रूप दे दिया। इसके मुताबिक नेपाल में आठ राज्यों वाली संघीय व्यवस्था होगी। शासन के लिए संसदीय प्रणाली, संयुक्त निर्वाचन मॉडल और 10 साल के लिए एक संवैधानिक अदालत का गठन करने पर भी सहमति बनी है।
नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन (माओवादी) और मधेसी पीपुल्स राइट फोरम-डेमोक्रेटिक (एफपीआरएफ-डी) के नेताओं के बीच ये सहमतियां बनी है। नेपाल की 601 सदस्यीय संविधान सभा में करीब 490 सीटों के प्रतिनिधित्व वाली इन चार प्रमुख पार्टियों को राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी, सीपीएन (एमएल) जैसी पार्टियों का भी समर्थन हासिल है।गौरतलब है कि 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से राजनीतिक दलों पर संविधान को लेकर समझौते का भारी दबाव था। भूकंप में करीब 9,000 लोग मारे गए थे और 21 हजार घायल हुए थे।
नेपाल में नए संविधान के निर्माण की प्रक्रिया भले ही खून खराबे वाली न हो, लेकिन इसके लिए इंतजार लंबा और तकलीफदेह रहा है। माओवादियों का हिंसक विद्रोह खत्म होने के बाद मई 2008 में पहली संविधान सभा का निर्वाचन हुआ। राजनीतिक विवादों की वजह से यह संविधान सभा पूरी तरह से नाकाम रही और मई 2012 तक संविधान तैयार कर लेने का इसका मकसद अधूरा रह गया। दूसरी संविधान सभा नवंबर 2013 में निर्वाचित हुई। इसकी पहली बैठक 2014 के जनवरी में हुई थी और इसने 22 जनवरी 2015 तक संविधान तैयार करने का काम पूरा करने का संकल्प लिया था। लेकिन, सोमवार को हुए समझौते से पहले कोई ठोस प्रगति नहीं हुई थी।