नेपाल में केपी ओली फिर बन सकते हैं पीएम

नेपाल में हुए ऐतिहासिक प्रांतीय और संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया है और सीपीएन-यूएमएल 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. फर्स्ट पास्ट द पोस्ट (एफपीटीपी) प्रणाली के तहत मतों की गणना का काम बुधवार (13 दिसंबर) को समाप्त हो गया.

पूर्व प्रधानमंत्री के पी ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन-माओवादी ने प्रांतीय और संसदीय चुनावों के लिए गठबंधन बनाया था. इस गठबंधन ने एफपीटीपी प्रणाली के तहत 165 सीटों में से 116 सीटों पर जीत दर्ज की.

सीपीएन-यूएमएल ने 80 सीटें जीती जो कुल 165 सीटों का लगभग 50 प्रतिशत है. सीपीएन-माओवादी और नेपाली कांग्रेस ने क्रमश: 36 ओर 23 सीटों पर जीत हासिल की. वामपंथी गठबंधन अब केन्द्र में सरकार बनायेगा. सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली नई सरकार का नेतृत्व कर सकते है.

दो मधेशी पार्टियों राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) और फेडेरल सोशलिस्ट फोरम नेपाल (एफएसएफएन) की संयुक्त संख्या 21 तक पहुंच गई है. आरजेपी को 11 सीटें मिली तो वहीं एफएसएफएन को 10 सीटों पर जीत मिली.वामपंथी गठबंधन ने प्रोविंस संख्या दो को छोड़कर सभी प्रांतीय एसेंबलियों में भी बहुमत हासिल कर लिया है.

प्रांतीय एसेंबली में 330 सीटों में से सीपीएन-यूएमएल को सबसे अधिक 168 सीटे मिली, जबकि माओवादी सेंटर को 73 सीटों पर जीत हासिल हुई. नेपाली कांग्रेस 41 सीटें हासिल करके तीसरे स्थान पर रही. आरजेपी और एफएसएफएन को क्रमश: 16 और 24 सीटें मिली. उल्लेखनीय है कि नेपाल के दो चरणों वाले संसदीय एवं विधानसभा चुनावों के लिए मतदान 26 नवंबर और 7 दिसंबर को हुआ था.

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