जॉर्डन में कार बम हमले में सुरक्षा बलों के छह सदस्य मारे गए और 14 जख्मी हो गए. सेना ने इसे कायरतापूर्ण आतंकवादी हमला करार दिया है.युद्ध ग्रस्त सीरिया की सील सीमा के नजदीक यह विस्फोट हुआ. हाल के समय में सीमा के नजदीक यह सबसे घातक हमला है और पश्चिम समर्थक राजशाही की पड़ोस में लंबे समय से चल रहे टकराव के दुषप्रभावों को इस तरफ छिटकने से रोकने की क्षमताओं पर नये सवाल खड़े करता है.
विस्फोट सुबह करीब साढ़े पांच बजे दूरवर्ती मरूस्थल क्षेत्र में फंसे हजारों सीरियाई शरणार्थियों के शिविर के पास हुआ. ये शरणार्थी जॉर्डन में प्रवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे थे.सेना ने बयान जारी कर कहा कि सीरिया के शरणार्थियों की सेवा में तैनात सेना की चौकी को लक्षित कर कायराना आतंकवादी हमला किया गया.
शिविर को रूकबान के नाम से जाना जाता है जो दो शिविरों में बड़ा है. सीरिया में चल रहे युद्ध के कारण जोर्डन में घुसने का प्रयास करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.मंगलवार के हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है. ये दोनों शिविर दूरवर्ती मरू इलाके में हैं जहां से कुछ मील की दूरी पर सीरिया, जोर्डन और इराक की सीमा मिलती है.
जॉर्डन की सेना ने कहा कि हमले में मारे गए लोगों में चार सैनिक, सिविल डिफेंस का एक सदस्य और एक लोक सुरक्षा अधिकारी है.बयान में कहा गया है कि 14 लोग जख्मी हुए हैं जिनमें नौ लोक सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं.यह फिलहाल पता नहीं चल पाया है कि हमले से अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियों द्वारा शरणार्थियों को भोजन, पानी और अन्य आवश्यक सामान की आपूर्ति बाधित होगी या नहीं.
जॉर्डन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रतिदिन सीमित संख्या में शरणार्थियों को प्रवेश देता है.जॉर्डन के अधिकारियों ने कहा है कि उनके पास साक्ष्य हैं कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी दोनों शिविरों में घुसे हैं और शरणार्थी के वेश में जॉर्डन में घुसने का प्रयास कर रहे हैं.
इस्लामिक स्टेट का सीरिया और इराक में बड़े इलाके पर नियंत्रण है. जॉर्डन ने हमलावरों और घुसपैठियों को रोकने के प्रयास में अमेरिका से वित्त पोषित निगरानी प्रणाली सहित सीमा सुरक्षा को मजबूत कर दिया है.जॉर्डन ने अपने देश में आईएस समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई की है जिसमें सोशल मीडिया पर समूह के विचार को बढ़ावा देने के लिए पिछले दो वर्षों में सैकड़ों लोगों को जेल में बंद किया गया है.