जीका वायरस पर सख्त होने की जरुरत

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अमेरिकी देशों में जीका वायरस का असर तेज हो गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, साल के आखिर तक करीब 40 लाख लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। वहीं, अगस्त में ब्राजील में ओलिंपिक गेम्स भी होने हैं, ऐसे में यहां आने लाखों लोगों पर भी इसका असर पड़ सकता है। डब्लूएचओ ने एक फरवरी को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। इंडिया में भी एहतियाती कदम उठाए हैं।

जीका ‘एडीस ऐजिप्टी’ नाम के मच्छर से फैलने वाले वायरस है।यह वही मच्छर है जो यलो फीवर, डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने के लिए भी जिम्मेदार है। प्रेग्नेंट महिलाएं को इससे खतरा होता है।वायरस की वजह से बच्चे छोटे सिर (माइक्रोसेफैली) के साथ पैदा होते हैं।माइक्रोसेफैली, न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें ब्रेन पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाता है।इस वायरस का पहला मामला 1947 में अफ्रीकी देश युगांडा में सामने आया था।

जीका के कोई खास लक्षण नहीं हैं। इसे पहचानना बहुत मुश्किल है।इंडियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने जीका वायरस की सिचुएशन पर नजर रखने के लिए एक ज्वाइंट मॉनिटरिंग कमिटी बनाई है। इसके जरिए वायरस इन्फेक्टेड देशों से आने वाले लोगों पर नजर रखी जाएगी।इंडियन हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने बताया कि सभी बड़े एयरपोर्ट्स पर गाइडलाइन रिलेटेड साइनबोर्ड्स लगाए जाएंगे।

इससे लोगों को अवेयर किया जाएगा कि अगर उन्हें शरीर पर चकत्ते, आंखों में जलन या बुखार की परेशानी है, तो वे तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। यह कमिटी दूसरे देशों में जीका वायरस की कंडीशन का वीकली रिव्यू भी करेगी।डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में वायरस का असर दिखाई नहीं देता। पर इसका असर बच्चों के दिमाग पर पड़ सकता है।डबल्यूएचओ की मीटिंग में तय होगा कि क्या इबोला की तरह इसके लिए भी ग्लोबल इमरजेंसी का एलान किया जाए। 

बता दें कि इसी तरह पिछले साल इबोला वायरस से करीब 11 हजार लोगों की मौत हुई थी।डब्लूएचओ की डायरेक्टर जनरल मारग्रेट चान ने कहा, ”जीका वायरस का खतरा डेंजर लेवल पर पहुंच गया है।”इस वायरस से पीड़ित प्रेग्नेंट महिलाएं ऐसे बच्चों को जन्म देती हैं, जिनका ब्रेन पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाता। ब्राजील में पिछले कुछ समय से छोटे सिर के साथ पैदा होने वाले बच्चों के मामले बढ़े हैं।”

रिसर्चर्स का कहना है कि ब्राजील में इस साल होने वाले ओलिंपिक गेम्स के बाद दुनियाभर में इसके फैलने का खतरा है।रियो ओलिंपिक में 5 लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। इसमें 2 लाख अकेले अमेरिकी होंगे।ब्राजील के रिसर्चर्स के मुताबिक, 2014 में वर्ल्ड कप इवेंट में आने वाले हजारों टूरिस्ट्स से ही जीका वायरस देश में आया है।

ब्राजील के वकील, एक्टिविस्ट्स और सइंस्टिस्ट्स के ग्रुप ने सरकार से अबॉर्शन की परमिशन देने की अपील की है। जीका वायरस को फैलने से बचाने के लिए ऐसी मांग की जा रही है।अभी प्रेग्नेंसी के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें महिलाए जीका वायरस से प्रभावित पाई गई हैं।
इस स्थिति में ये ग्रुप एबॉर्शन को लीगल करने की मांग कर रहे हैं।2012 से ब्राजील में एबॉर्शन बैन है। ऐसा करने पर एक से तीन साल तक की सजा मिलती है। 

सिर्फ हेल्थ इमरजेंसी और रेप केसेस में इसकी परमिशन है।ब्राजील समेत 23 अमेरिकी देशों में फैल चुका है और 50 लोगों की इससे जान जा चुकी है।पिछले साल ब्राजील के छह स्टेट्स में इमरजेंसी घोषित की गई है। अकेले पेरनांबुको में 900 मामले सामने आए।ब्राजील के प्रेसिडेंट डिल्मा रोसेफ के मुताबिक, अभी इसे रोकने के लिए कोई मेडिकल डिफेंस मौजूद नहीं है। इससे बचना ही बेहतर है।ब्राजील में अक्टूबर, 2015 तक ऐसे मामलों का आंकड़ा करीब 4,000 था।ब्राजील को डर है कहीं जन्म लेने वाली पूरी पीढ़ी शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग न हो जाए।

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