डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका में एक और कानून को बदल दिया गया। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति बराक ओबामा के बहुचर्चित Net Neutrality कानून को बदल दिया गया है। इस कानून के विरोध में अमेरिका के रेग्युलेट्रर्स ने वोट किया। इस फैसले के बाद अमेरिका में अब इंटरनेट की बराबर की सुविधा मिलेगी और इसके पक्ष में फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन ने वोट किया।
फेडरल कम्युनिकेशंस की वोटिंग में ओबामा के फैसला को पलट दिया गया। कानून के पक्ष में 3-2 के पक्ष में मतदान हुआ। कुछ समय पहले नेट न्यूट्रलिटी को खत्म करने का प्रस्ताव रिपब्लिकन पार्टी की और से आया था।तर्क दिया गया था कि इससे उपभोक्ताओं को नुकसान होगा और बड़ी कंपनियों को लाभ मिलेगा।
नेट न्यूट्रलिटी को खत्म करने का प्रस्ताव भारतीय-अमेरिकन चेयरमैन अजित पाई ने दिया था। इस कानून के विरोध में कई लोगों ने आवाज उठाई है।साल 2015 में नेट न्यूटलिटी पर बने कानून में कहा गया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कंटेंट को ब्लॉक नहीं किया जाएगा। साथ ही कहा गया था कि इंटरनेट को इस आधार पर बांटा जाए कि पैसा देकर इंटरनेट और मीडिया कंपनियां फास्ट लेन पाएं।
लेकिन आम लोगों को मजबूरन स्लो लेन मिले।अमेरिका में नया कानून बनने के बाद एफसीसी ने कहा है कि 2015 के बिना किसी रोकटोक के चलने वाली प्रक्रिया के स्थान पर हम सुगमता से चलने वाली इंटरनेट सुविधा के दौर में लौट रहे हैं, जो व्यवस्था 2015 से पहले थी।वहीं अमेरिका में इस फैसला का विरोध होना भी शुरू हो गया है।
इस फैसले के विरोध में डेमोक्रैटिक लीडर नैन्सी पोल्सी का कहना है कि , ‘इस अतार्किक और बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए कानून के साथ अजित पाई ने साबित कर दिया कि वह ट्रंप प्रशासन के उपभोक्ता विरोधी परंपरा को ही आगे ले जाना चाहते हैं।