भारत ने रविवार को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते का अनुमोदन कर दिया जिससे इसके वर्ष के अंत तक अमल में आ जाने की उम्मीद बढ़ गयी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के अनुमोदन के दस्तावेज यहां आयोजित एक विशेष समारोह में संयुक्त राष्ट्र में करार विभाग (ट्रीटीज डिविजन) के प्रमुख सैंटियागो विलालपांडो को सौंपा।
अकबरूद्दीन ने यह दस्तावेज महात्मा गांधी की 147वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में सौंपा जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी एवं वरिष्ठ राजनयिक मौजूद थे।संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत के जलवायु नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा सभी भारतीयों को धन्यवाद’। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का अनुमोदन करने के कदम ने इस ऐतिहासिक समझौते को इस वर्ष लागू करने के लक्ष्य की दिशा में विश्व को और आगे बढ़ा दिया है।
गांधी जयंती को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बान ने इस मौके पर जारी अपने संदेश में कहा कि लोगों और इस ग्रह के लिए गांधी और उनकी विरासत का स्मरण करने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता कि भारत ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का अनुमोदन करने का दस्तावेज सौंप दिया।
उन्होंने सभी देशों का आह्वान किया कि वे अनुमोदन की अपनी घरेलू प्रक्रियाएं पूरी करें और अहिंसा के जरिये प्रगति हासिल करने के वास्ते सभी गतिविधियों में प्रयास करें। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि गांधी ने जिस दीर्घकालीन जीवनयापन पर जोर दिया वह ‘महत्वपूर्ण तरीके’ से प्रतिबिंबित हो रहा है क्योंकि भारत पेरिस जलवायु समझौते के अनुमोदन का दस्तावेज सौंप रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया भारत ने अपना वादा कायम रखा। गांधीजी की जयंती पर हमने पेरिस जलवायु समझौते के अनुमोदन का दस्तावेज सौंप दिया।उन्होंने कहा कि भारत जलवायु न्याय के महत्व पर जोर देता है, इसका उद्देश्य यह होगा कि समझौते के लागू होने पर ‘जलवायु परिवर्तन के प्रति भी न्याय होगा।
1.2 अरब से अधिक की जनसंख्या वाले भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन समझौते का अनुमोदन करने से इस समझौते के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू होने की दिशा में तेजी आने की उम्मीद है। अनुमोदन भारत सहित प्रत्येक देश द्वारा वादे को औपचारिक रूप देता है कि वे 2020 के बाद से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाने या कम करने की दिशा में कदम उठाएंगे तथा औसत वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने का प्रयास करेंगे और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लिए प्रयास करेंगे।
चीन और अमेरिका के बाद भारत विश्व का तीसरे सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है। चीन और अमेरिका वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में से करीब 40 प्रतिशत के लिए जबकि भारत 4.1 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। पिछले महीने अमेरिका और चीन औपचारिक रूप से पेरिस समझौते में शामिल हुए थे। समझौते को पिछले वर्ष दिसम्बर में पेरिस में हुए ‘यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लामेट चेंज’ के 195 पक्षों ने स्वीकार किया था।