अमेरिकी ड्रोन हमले में अलकायदा के मुखिया अल जवाहिरी की मौत

अफगानिस्तान के काबुल में अमेरिका के ड्रोन हमले में अलकायदा के मुखिया अल जवाहिरी मारा गया। इस खूंखार आतंकवादी अल जवाहिरी पर 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा गया था। अल जवाहिरी 9/11 हमले में शामिल था।इस सफलतापूर्वक हमले के बाद अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी हाथ लगी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि खूंखार आतंकवादी मारे जाने से अब इंसाफ पूरा हुआ। काबुल में जहां हमला हुआ था,  अलजवाहिरी वहां बालकनी में खड़ा था।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद उम्मीद जताई कि अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहरी की हत्या 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए हमलों के पीड़ितों के परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी।

बाइडेन ने पुष्टि करते हुए बताया कि इस सप्ताह के अंत में अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहरी मारा गया।बाइडेन ने व्हाइट हाउस से औपचारिक रूप से ऑपरेशन की घोषणा करते हुए कहा वह फिर कभी नहीं, फिर कभी नहीं, अफगानिस्तान को एक आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाह बनने की अनुमति देंगे क्योंकि वह मारा गया है और हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि और कुछ न हो।

उन्होंने आगे कहा यह आतंकवादी नेता अब नहीं रहा।उन्होंने कहा कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने अल-जवाहरी को काबुल शहर के एक घर में ट्रैक किया, जहां वह अपने परिवार के साथ छिपकर रह रहा था। राष्ट्रपति बाइडेन ने पिछले हफ्ते जवाहिरी के खिलाफ ऑपरेशन को मंजूरी दी और इसे रविवार को अंजाम दिया गया।

अयमान अल जवाहिरी पेशे से सर्जन और आतंकी संगठन अलकायदा का प्रमुख आतंकी था, जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 को मिस्र के एक धन सम्पन्न परिवार में हुआ। बाद में इन्होंने सऊदी अरब से पढ़ाई की और डॉक्टर बने उसके बाद ओसामा बिन लादेन के संपर्क में आने के बाद अलकायदा से जुड़े लेकिन उससे पहले भी वे इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद के प्रमुख थे।अल जवाहिरी कोई अनपढ़ नही बल्कि 1974 में उसने केयरो यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएशन किया था।

और उसके पिताजी भी एक कॉलेज प्रोफेसर थे।नवंबर में अफगानिस्तान के तारा बोरा में पूर्व अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के साथ अल जवाहिरी के छुपे होने की खबर अमेरिका को लगी जब अमेरिका ने नाटो की सेना के साथ मिलकर अफगानिस्तान के तारा बोरा पर हमला कर दिया लेकिन लादेन और जवाहिरी इस दौरान भाग निकले, लेकिन जवाहिरी की एक पत्नी और उसके दो बच्चे मारे गए।

9/11 आतंकी हमले में अल जवाहिरी एक प्रमुख आतंकी था।वर्तमान में भारत में जड़ जमाने के लिए अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी ने एक वीडियो जारी कर कर्नाटक के हिजाब विवाद में अल्ला हु अकबर की नारेबाजी करने वाली छात्रा का समर्थन किया है। और फिलहाल ये भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अरबी और फ्रेंच बोलने में निपुण अल जवाहिरी मात्र 14 साल की उम्र में ही मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य बन गया और उसका विवाह 1978 में काहिरा विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र की छात्रा अजा नोवारी से हुआ। उसने अपनी शादी के लिए अलग नियम बनाए थे जिसमे हसी मजाक से लेकर फोटोग्राफर और संगीतकारों को भी बैन कर दिया। और महिलाओं को अपने पति यानी पुरुषो से अलग कर दिया गया।

जवाहिरी ने आतंकी संगठन इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद की स्थापना की जिसे ओसामा बिन लादेन के साथ मिलने के बाद अलकायदा में मिला दिया गया। इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद वही संगठन था जिसने 1970 के आसपास मिस्र में धर्मनिरपेक्षता का विरोध करके इस्लामिक शासन कायम करने की बात की।

1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के जुर्म में ये 3 साल जेल में रहकर सऊदी अरब भाग गया और मेडिकल विभाग में काम सीखा और करने लगा वही इसकी मुलाकात ओसामा बिन लादेन से हुई और दोनो बाद में पाकिस्तान के पेशावर में गए और वही दोनो के बीच नजदीकियां बढ़ी।2001 में अल जवाहिरी ने इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद और अलकायदा का विलय करवाया लेकिन बाद में ओसामा बिन लादेन की अमेरिकी हमलों में मौत के बाद यह साल 2011 में अलकायदा प्रमुख बन गया।

ऐसा नहीं है की अल जवाहिरी ने पहली बार भारत के लिए वीडियो जारी किया हो इससे पहले भी कई बार भारत के खिलाफ जहर उगल चुका है और भारतीय उपमहाद्वीप में आतंक फैलाने के लिए 2014 में एक जिहाद संगठन बनाया और उसका मुखिया उत्तर प्रदेश के देवबंद जिले के मदरसे में पढ़े असीम उमर को बनाया। लेकिन माना जाता है की असीम उमर 2019 में अमेरिकी ऑपरेशनों में मारा गया था।

साल 2014 में अल जवाहिरी ने वीडियो जारी कर कहा था वह उन सब सीमाओं को समाप्त कर देगा जो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने से रोकेगी। और 2003 में पाकिस्तानियों से कहा था कि राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ आपको हिंदुओ को सौंपना चाहते हैं।माना जाता है कि अमेरिकी सेनाओं के विरुद्ध तालिबान के साथ अलकायदा के सदस्य भी लड़े थे। अलकायदा और तालिबान का संबंध बहुत पुराना है और तालिबान के नीचे ही भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा आतंक फैलाना चाहता हैं।

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