रही मिलावट का स्तर काफी ऊपर पहुँच चुका है।
* बात प्रदेश की करें तो राज्य खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग के अनुसार यहाँ मिलावट का स्तर 40 फीसदी से ऊपर है। खाद्य पदार्थों में सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ आते हैं। और बात सब्जी की करें तो सब्जी के अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। वहीं सब्जी का आकार बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का प्रयोग होता है। बाजार में बिकने वाली सब्जी को हरा रखने के लिए इसमें मेलेकाइट ग्रीन (कपड़ा रंगने का रसायन) का प्रयोग किया जाता है। जो सब्जी को कृत्रिम रूप से ताजा बनाए रखता है।
* सब्जी को हरा रंग देने के लिए प्रयोग किए जाने वाला मेलेकाइट ग्रीन लीवर, आँत, किडनी सहित पूरे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाता है। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर बीमारियों की वजह पाचन तंत्र का ठीक से काम न करना होता है। मेलेकाइट ग्रीन का अधिक सेवन पुरुषों में नपुंसकता और औरतों में बाँझपन का भी कारण बन सकता है। यह कैंसर की वजह भी बन सकता है।
* समाचार माध्यमों से जानकारी मिलने पर कि सब्जियों की फसल जल्द तैयार करने को आक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कैंसर से घातक रोग हो रहे हैं.
* अकसर बाजार में हरी व चमकदार सब्जी को देखकर मन खाने को ललचा जाता है, लेकिन किसी को नहीं मालूम कि हम सब्जियों में कितना जहर रोजाना खा रहे हैं। इस जहर को खाने से कितनी ही तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इन हरी व चमकदार घीया, तरबूज व पेठा आदि सब्जियों और लाल रंग के फलों को रातों रात तैयार करने के लिए ओक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।
रातों रात तैयार हो रही सब्जी :-
* सुबह होते ही रेहडिय़ों पर आने वाले फल व सब्जियां कितनी जहरीली होती हैं कभी कोई सोचता भी नहीं है लेकिन हम इन सब्जियों और फलों के द्वारा निगलते हैं मीठा जहर, जो शाम के समय सब्जियों और फलों को लगाते है और उसे रातों रात इतना बड़ा तैयार कर देते हैं। दरअसल जितनी ज्यादा हरी सब्जी उतना ही उसमें जहर। जब इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो बात चौंकाने वाली थी। छोटी-छोटी घीया