पाकिस्तान के विरूद्ध 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराध करने के जुर्म में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के दूसरे सबसे बड़े नेता की मौत की सजा बरकरार रखी.बुद्धिजीवियों को भारत का एजेंट बताकर उनका नरसंहार कराने में उनका हाथ था.प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेन्द्र कुमार सिन्हा की चार सदस्यीय पीठ ने जमात-ए-इस्लामी के महासचिव और अल-बद्र के पूर्व कमांडर 67 वर्षीय …
Read More »