छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.उन्होंने पीएम मोदी से इस दौरान नक्सलवाद, पांचवी अनुसूची तथा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण आदि को लेकर चर्चा की. राज्यपाल उइके ने प्रधानमंत्री से कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में नक्सलवाद की समस्या गंभीर है.
इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.उइके ने पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले नगरीय क्षेत्रों में मेसा कानून लागू करने का अनुरोध किया. साथ ही कहा कि मेसा कानून लागू होने से जनजातियों को उनके संवैधानिक अधिकार प्राप्त होंगे.राज्यपाल ने जनजातियों को भूमि विक्रय में होने वाली समस्याओं से अवगत कराया और समस्या के समाधान करने की आवश्यकता जताई.
इसके अलावा प्रधानमंत्री वनवासी किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री निःशुल्क नमक वितरण योजना, केन्द्रीय योजनाओं का लाभ, स्थानीय वनवासी युवाओं की शासकीय सेवाओं के वर्ग 3 एवं 4 में भर्ती के लिए जिला संवर्ग के पद, वनवासियों की कृषि भूमि का प्रबंधन, ट्राईफेड का सशक्तीकरण, लघु वनोपजों की खरीदी, व्यक्तिमूलक योजनाओं को बढ़ावा देना, वन संरक्षण अधिनियम की समीक्षा, वनवासी युवाओं को आगे लाने हेतु निःशुल्क कोचिंग व्यवस्था सहित विभिन्न बिन्दुओं पर भी चर्चा की.
उइके ने प्रधानमंत्री को जनजातियों के जाति नाम में मात्रात्मक त्रुटियों से अवगत कराते हुए कहा कि इससे पात्र व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है. इन सुधारों के प्रस्ताव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भेजा जा चुका है और जनगणना महानिदेशक और अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा अपनी अनुशंसा प्रेषित कर दी गई है.
जनजातीय विभाग द्वारा बिल पेश करना और पास करना अभी बाकी है.राज्यपाल ने उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के चार जिलों चन्दौली, कुशीनगर, संत कबीरनगर, संत रविदास नगर जनजाति जिलों में शामिल करने का भी अनुरोध किया.
निजी एवं सरकारी क्षेत्रों में स्थापित होने वाली उत्खनन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के बदले भूमिस्वामी को उस परियोजनाओं के लाभांश में शेयर होल्डर बनाने या भूमि के उपयोग के लिए वार्षिक या मासिक किराया देने के संबंध में भी चर्चा की.राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को प्रतीक चिन्ह के रूप में राम दरबार भी भेंट किया. साथ ही उन्होंने पीएम को ”कोरोना काल में राज्यपाल की रचनात्मक भूमिका” पुस्तिका भेंट की.