भारतीय हॉकी टीम के नए मुख्य कोच पॉल वॉन ऐस हॉकी टीम के लिए एक पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक चाहते हैं । ऐस का मानना है कि टीम आखिरी क्षणों में गोल गंवाती है और इससे निपटने के लिए उसे पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक की जरूरत है। हाल ही में इपोह में संपन्न 24वें सुल्तान अजलान शाह कप में भारत ने पहले तीन मैचों में आखिरी क्षणों में गोल गंवाए जिससे टीम खिताब की दौड से बाहर हो गई लेकिन आखिरी दो मैचों में अच्छा खेलकर ब्रॉन्ज पदक जीतने में कामयाब रही। वॉन ऐस ने कहा कि उन्हें भारत के कमजोर डिफेंस के बारे में बखूबी पता था। उन्होंने कहा, ‘मैं डिफेंस केा लेकर चिंतित हूं।
भारत आने से पहले ही यह मेरी चिंता का सबब था। हमारा डिफेंस बहुत खराब है। हमने कई मैच आखिर के मिनटों में गंवाये।’ उन्होंने हालांकि कहा कि यह दिमागी दिक्कत है और इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। वॉन ऐस ने कहा, ‘यह मानसिक समस्या है। खिलाडी कई बार कोताही बरतते हैं और गलतियां कर देते हैं।’ यह पूछने पर कि क्या पेशेवर मनोवैज्ञानिक के साथ एक या दो सत्र काफी होंगे, उन्होंने कहा, ‘ मुझे इसमें ऐतराज नहीं। मेरे दिमाग में यह सुझाव है लेकिन अजलान शाह कप के विडियो देखने के बाद मैं फैसला लूंगा।’
इससे पहले भी भारत के विदेशी कोच जोस ब्रासा और माइकल नोब्स टीम के साथ मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति की मांग करते रहे हैं। नोब्स ने अपने कार्यकाल के दौरान बेंगलूरु में रहने वाले मनोवैज्ञानिक और साइ के पूर्व कर्मचारी डॉक्टर चैतन्य श्रीधर की सेवायें भी ली थी। कोचिंग स्टाफ के एक सदस्य ने भी वॉन ऐस के सुर में सुर मिलाया लेकिन कहा कि इस बारे में फैसला स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) और हॉकी इंडिया को लेना है। उन्होंने कहा, ‘ हम सिर्फ अपने सुझाव दे सकते हैं लेकिन आखिरी फैसला तो हॉकी इंडिया और साई को लेना है ।’
टीम के एक सीनियर सदस्य ने कहा, ‘कोच का कहना सही है। यह मानसिक मसला है। हम कई बार ढिलाई बरतने लगते हैं जिसका खमियाजा भुगतना पडता है। ब्रासा के कार्यकाल में भी हमने मनोवैज्ञानिक के साथ कुछ सत्र में भाग लिया था जिससे काफी मदद मिली।’