फीफा ने करप्शन के आरोप में अपने ही चीफ सीप ब्लैटर और यूएफा के चीफ माइकल प्लातिनी पर 8 साल का बैन लगा दिया है। फीफा की एथिक्स कमिटी ने सोमवार को ये फैसला सुनाते हुए ब्लैटर और प्लातिनी के फुटबॉल की किसी भी तरह की एक्टिविटी में शामिल होने पर रोक लगा दी है।इससे पहले फीफा में करप्शन के मामले को लेकर पूर्व वाइस प्रेसिडेंट जैक वॉर्नर पर भी लाइफटाइम बैन लगा गया था।
ब्लैटर पर फीफा में फाइनेंशियल हेरफेर करने और 2011 में यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशंस (यूएफा) के चीफ प्लातिनी को 13.2 करोड़ रुपए का पेमेंट करने के आरोप हैं।सितंबर 2015 में स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल के लोगों ने ब्लैटर से पूछताछ की थी और उनके ऑफिस की तलाशी भी ली थी।
इस साल मई में स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में फीफा के सात अफसरों को करप्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।इन पर 950 करोड़ रुपए से ज्यादा की घूस लेने और फाइनेंशियल गड़बड़ी करने का आरोप था।गिरफ्तार किए गए अफसरों पर आरोप था कि वे अमेरिका में फुटबॉल टूर्नामेंट्स के आयोजन में धांधली कर रहे थे।
ट्रैफिक ग्रुप नाम की ब्राजील की स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म और इसके फाउंडर जोस हविला फीफा में भ्रष्टाचार से जुड़ी अहम कड़ी हैं।अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक, फीफा को घूस देने वाले कारोबारियों में हविला सबसे अहम हैं।वह फुटबॉल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराने वाली संस्थाओं और इन आयोजनों से जुड़ने वाली कंपनियों के बीच की अहम कड़ी के तौर पर काम करता रहा है।
इन कंपनियों को मैच की स्पॉन्सरशिप या ब्रॉडकास्ट राइट्स आदि के लिए हविला और उसकी फर्म से करार करना पड़ता है।वह फुटबॉल फेडरेशन्स के अफसरों को घूस देकर कंपनियों से उनकी डील करवाता है।