भारत ने ऑस्ट्रेलिया को तीसरे टेस्ट में 137 रन से हराकर ली 2-1 की बढ़त

टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया से तीसरा टेस्ट मैच जीत लिया. उसने मेलबर्न में खेले गए इस बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में मेजबान टीम को 137 रन से हराया. इस जीत के साथ ही मेलबर्न भारत का सबसे लकी ऑस्ट्रेलियाई ग्राउंड बन गया. उसने यहां तीसरी बार टेस्ट मैच जीता है.

वह यहां 1978 और 1981 में भी जीत चुका है. अब इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने चार मैचों की टेस्ट सीरीज (India vs Australia) में 2-1 की बढ़त बना ली है. क्रिकेट इतिहास में यह पहला मौका है, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही टेस्ट सीरीज में मेजबान टीम पर 2-1 की बढ़त ली है.

तीसरे टेस्ट (मेलबर्न टेस्ट) में भारत की जीत के 5 हीरो.ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही इस सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों में भारत की सबसे बड़ी कमजोरी ओपनर्स साबित हुए थे. इस कारण कप्तान विराट कोहली ने मुरली विजय और केएल राहुल को प्लेइंग-11 से बाहर कर मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी को ओपनिंग करने को कहा.

27 साल के मयंक ने पहली पारी में 76 और दूसरी पारी में 42 रन बनाए. वे दूसरी पारी में टीम के टॉप स्कोरर रहे. उन्होंने हनुमा विहारी के साथ पहली पारी में 40 और दूसरी पारी में 28 रन की साझेदारी की. इससे भी अहम बात यह रही कि भारत ने पहली पारी में शुरुआती 18 ओवर और दूसरी पारी में 11 ओवर तक विकेट नहीं गंवाए.

चेतेश्वर पुजारा ने एक बार फिर भरोसे पर खरा उतरते हुए टीम को वह मंच तैयार करके दिया, जहां से जीत का रास्ता जाता है. पुजारा ने इस मैच में ना सिर्फ शतक बनाया, बल्कि मयंक के साथ 83 और विराट के साथ 170 रन की अहम साझेदारी की. पुजारा ने पहली पारी में 319 गेंदों पर 123 रन बनाए.

यानी, उन्होंने इस पारी के दौरान 53 ओवर से ज्यादा बैटिंग अकेले की. उनकी इस पारी ने दूसरे बल्लेबाजों का काम भी आसान कर दिया. दिलचस्प बात यह है कि भारत ने जब सीरीज का पहला मैच जीता था, तब भी पुजारा ने शतक लगाया था. उनकी पिछली छह पारियां 0, 106, 4, 24, 71, 123 रन की रही हैं.

वे सीरीज में सबसे अधिक रन 328 बनाने वाले बल्लेबाज हैं. विराट कोहली करीब तीन साल से दुनिया में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने हुए हैं. उन्होंने एक बार फिर 82 रन की बेहतरीन पारी खेली. हालांकि, वे इस मैच में शतक नहीं बना पाए, लेकिन उन्हें शायद ही इसका मलाल रहे.

दरअसल, मैच के पहले दिन विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा की साझेदारी ने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. सीरीज में यह पहला मौका था, जब किसी टीम ने पूरे दिन बैटिंग करने के बावजूद सिर्फ दो विकेट गंवाए. इन दोनों ने दूसरे दिन भी बेहतरीन साझेदारी कर ऑस्ट्रेलिया के लिए वापसी के रास्ते बंद कर दिए.

इस मैच में विराट कोहली की कप्तानी भी अधिक प्रभावशाली दिखी. उन्होंने आउट ऑफ फॉर्म चल रहे दोनों ओपनरों को टीम से बाहर किया. स्पिनर रवींद्र जडेजा को प्लेइंग-11 में लेकर आए. इसके अलावा उनकी अटैकिंग फील्ड प्लेसमेंट भी प्रभावी रही.

यह सब इस बात के संकेत थे कि वे जीत के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.जसप्रीत बुमराह ने इस मैच में 9 विकेट झटके. उन्होंने छह विकेट तो पहली पारी में ही झटक लिए थे. उनकी इस गेंदबाजी के कारण ही ऑस्ट्रेलिया की टीम पहली पारी में महज 151 रन पर सिमट गई.

सस्ते में सिमटने के साथ ही मेजबान टीम की हार भी तय हो गई थी. दिलचस्प बात यह है कि जसप्रीत बुमराह एक साल पहले तक टीम इंडिया के वनडे स्पेशलिस्ट बॉलर थे. उन्हें इस साल जनवरी में पहली बार टेस्ट टीम में शामिल किया गया.

मजेदार बात यह है कि बुमराह ने एक साल के भीतर ही खुद को देश का नंबर-1 टेस्ट गेंदबाज साबित कर दिया है. बुमराह ने इस साल 9 मैचों में 48 विकेट झटके हैं. वे साल के सबसे सफल भारतीय गेंदबाज हैं. मोहम्मद शमी ने भी 47 विकेट लिए हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए 12 मैच खेले हैं.

रवींद्र जडेजा को इस सीरीज में पहली बार खेलने का मौका मिला और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया. जडेजा ने पहली पारी में दो विकेट लिए और दूसरी पारी में तीन विकेट झटके. वे इस मैच में पैट कमिंस (9 विकेट) और जसप्रीत बुमराह (8 विकेट) के बाद सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. जडेजा के प्रदर्शन की अहमियत दो बातों से बढ़ जाती है.

पहला, यह उनका ‘कमबैक मैच’ था. उन्हें पहले दोनों ही मैचों में शामिल नहीं किया गया था. इस कारण उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था. दूसरा, उन्होंने उस विकेट पर पांच विकेट लिए, जिस पर ऑस्ट्रेलिया के स्टार ऑफ स्पिनर नाथन लॉयन 61 ओवर की गेंदबाजी कर सिर्फ एक विकेट निकाल सके.

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