उपांगललिता व्रत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को रखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से ललिता देवी की स्वर्णिम प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा की जाती है। उपांगललिता व्रत उत्तम फलदायी व्रत माना जाता है।
उपांगललिता व्रत विधि (Upanglalita Vrat Vidhi)
नारद पुराण के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन व्रती को प्रातः संभव हो तो नदी में स्नान करना चाहिए। पूजा स्थल में ललिता जी की सोने की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। ललिता देवी की 16 प्रकार से विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद श्रेष्ठ ब्राह्मण को भोजन करवा कर उन्हें धन, घी, फल, पकवान आदि दान देना चाहिए।
उपांगललिता व्रत फल (Benefits of Upanglalita Vrat)
मान्यता के अनुसार इस व्रत का पालन करके मनुष्य मनोवांछित फलों को प्राप्त करता है। इसके अलावा इस व्रत के पुण्य फल से व्यक्ति संसार के उत्तम वस्तुओं का भोग कर मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक जाता है।