स्वर्ण गौरी व्रत श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन सुहागन स्त्रियों को देवी भवानी की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत की महिमा से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
स्वर्ण गौरी व्रत विधि (Swarn Gouri Vrat Vidhi)
नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया प्रातः उठकर सुहागन स्त्रियों को किसी नदी में स्नान करना चाहिए। पूजा स्थान पर देवी पार्वती की भवानी रूप स्थान कर उनकी पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय देवी को 16 शृंगार के समान जैसे ;- चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, साड़ी, काजल इत्यादि चढ़ाना चाहिए।
स्वर्ण गौरी व्रत (Benefits of Swarn Gouri Vrat)
मान्यता है कि इस व्रत की महिमा से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा देवी की कृपा से जीवन साथी के साथ संसार के सभी सुखों का भोग करके स्वर्ग लोक जाती है।