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Shani Amavasya Vrat Vidhi शनि अमावस्या पूजा विधि

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Shani Amavasya Vrat Vidhi शनि अमावस्या पूजा विधि

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को दान-पुण्य और पूजा आदि के लिए शुभ माना जाता है। अगर यह अमावस्या शनिवार को पड़े तो इसे और भी शुभ माना जाता है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। शनि अमावस्या को बेहद दुर्लभ माना जाता है। एक साल में लगभग 12 अमावस्या होती हैं लेकिन शनि अमावस्या बेहद कम होती हैं। इस दिन भगवान शनि देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

शनि अमावस्या पूजा विधि (Shani Amavasya Puja Vidhi in Hindi)

भविष्य पुराण के अनुसार प्रत्येक माह की पूर्णिमा और अमावस्या को पितर-शांति के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। अधिकतर ज्योतिषी शनि अमावस्या के दिन अन्य अमावस्या की तरह ही पूजा करने की सलाह देते हैं। इस दिन शनिदेव का विशेष पूजन करना चाहिए। इस दिन प्रात: काल पीपल के पेड़ पर या शनिदेव की प्रतिमा पर काला तिल युक्त जल अर्पित करना चाहिए। शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित कर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए।

शनि चालीसा (Shani Chalisa in Hindi)

शनिदेव की आरती (Shani Dev Aarti in Hindi)

भगवान शनि देव के मंत्र (Shani Dev Mantra in Hindi)

शनि अमावस्या का महत्व (Importance of Shani Amavasya)

पुराणों में वर्णित है कि शनिदेव की महादशा या साढ़ेसाती से परेशान जातकों को शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से शनिदेव आसानी से प्रसन्न होते हैं।

शनि अमावस्या का महत्त्व (Importance of Shani Amavasya)

पुराणों में वर्णित है कि शनिदेव की महादशा या साड़ेसाती से परेशान जातकों को शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से शनिदेव आसानी से प्रसन्न होते हैं।

शनि अमावस्या के दिन निम्न कार्य करने का भी प्रयास करना चाहिए जैसे:

* शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान: तिल, कंबल, तेल, काला छाता या काले कपड़े शनिदेव से जोड़ कर देखे जाते हैं। इस दिन ऐसी वस्तुओं का दान देना चाहिए।

* पितृ शांति उपाय: इस दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। साथ ही कई ज्योतिषी इस दिन को कालसर्प योग और पितृदोष शांति उपाय करने के लिए शुभ मानते हैं।

* पीपल के पेड़ पर जल देना: पीपल के पेड़ पर सभी देवताओं का वास होता है, साथ ही पितरों की शांति के लिए भी पीपल के पेड़ को ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ पर अवश्य जल चढ़ाना चाहिए।

* शनि चालीसा, मंत्र आदि का जाप: हिन्दू पुराणों के अनुसार शनि स्तोत्र की रचना स्वयं राजा दशरथ ने शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए की थी। भगवान शनि ने राजा दशरथ को आशीष दिया था कि भविष्य में जो भी शनि स्तोत्र का पाठ करेगा मैं उस पर प्रसन्न होऊंगा। इस दिन संभव हो सके तो शनि चालीसा, शनि मंत्र या शनि देव की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए।

* हनुमान जी की पूजा: शनि अमावस्या के दिन हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का अवश्य पाठ करना चाहिए।

* शनि मंत्रों का जाप: इस दिन निम्न का अवश्य जाप करना चाहिए:

“ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।

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