Mahttam Vrat vidhi । महत्तम व्रत विधि

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महत्तम व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रखा जाता है। इसे कुछ लोग मौन व्रत के नाम से भी जानते हैं। महत्तम व्रत में मौन रहकर भगवान शिव की पूजा करने का विधान है।

महत्तम व्रत विधि (Mahattam Vrat Vidhi in Hindi)

नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रातः उठकर स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात मौन व्रत रखते हुए पूजा का प्रसाद तैयार करना चाहिए। पूजा के लिए जो प्रसाद तैयार किया है उसमें 48 पूए तथा फल होने चाहिए।

प्रसाद के फल और पूए में से 16 ब्राह्मण को तथा 16 भगवान शिव को समर्पित करना चाहिए। शेष बचे 16 फल और पूए को स्वयं परिवार सहित खाना चाहिए। इस व्रत की समाप्ति पर व्रती को सोने की शिव प्रतिमा को कलश के ऊपर रखकर उसे किसी ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

महत्तम व्रत फल (Benefits of Mahattam Vrat in Hindi)

मान्यता के अनुसार महत्तम व्रत का 14 वर्षों तक पालन करने वाला व्यक्ति इसका पुण्य प्राप्त करता है। इस व्रत के फलस्वरूप कई वर्षों तक जीवन के सभी सुखों को भोग कर अंत में शिव लोक जाता है।

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