‘कल तेरस है, मैं तुम्हारे लिए धनतेरस मनाऊंगी तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ रखना संध्या समय दीप जलाकर मेरा पूजन करना इस दिन की पूजा करने से मैं वर्ष भर तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी. यह कहकर देवी चली अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कहे अनुसार लक्ष्मी पूजन किया और उसका घर धन-धान्य से भरा रहा अत: आज भी इसी प्रकार से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा कि जाती है. ऎसा करने से लक्ष्मी जी का आशिर्वाद प्राप्त होता है.
धनत्रयोदशी पूजा
धन त्रयोदशी के दिन घरों को लीप पोतकर कर स्वच्छ किया जाता है ,रंगोली बना संध्या समय दीपक जलाकर रोशनी से लक्ष्मी जी का आवाहन करते हैं. धन त्रयोदशी के दिन नए सामान, गहने, बर्तन इत्यादि ख़रीदना शुभ माना जाता है. इस दिन चांदी के बर्तन ख़रीदने का विशेष महत्व होता है. मान्यता अनुसार इस दिन स्वर्ण, चांदी या बर्तन इत्यादी खरीदने से घर में सुख समृद्धी बनी रहती है. इस दिन आयुर्वेद के ग्रन्थों का भी पूजन किया जाता है.
आयुर्वेद चिकित्सकों का यह विशेष दिन होता है आयुर्वेद विद्यालयों, तथा चिक्कित्सालयों में इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है. आरोग्य प्राप्ति के लिए तथा जिन व्यक्तियों को शारीरिक एवं मानसिक बीमारियां अकसर परेशान करती रहती हैं, उन्हें भगवान धनवंतरि का धनत्रयोदशी को श्रद्धा-पूर्वक पूजन करना चाहिए ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होगी. धनत्रयोदशी को यम के निमित्त दीपदान भी करते हैं जिससे व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है.
सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता सुर्यपुत्र यमराज की पूजा का बड़ा महत्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरी ऋषि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धनवंतरी जयंती भी मनाया जाता है. नई चीजों के शुभ कदम के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है. आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धनवंतरी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है.
कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है. इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है. चूंकि पीतल भगवान धनवंतरी की धातु मानी जाती है, इसलिए इस दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना जाता है. इस दिन घरों को साफ़-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है.
धन्वंतरि महाराज खारे-खारे सागर में से औषधियों के द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य-संपदा से समृद्ध हो सके, ऐसी स्मृति देता हुआ जो पर्व है, वही है धनतेरस। यह पर्व धन्वंतरि द्वारा प्रणीत आरोग्यता के सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपना कर सदैव स्वस्थ और प्रसन्न रहने का संकेत देता है।
धनतेरस के दिन यमराज को दो दीपक दान करना चाहिये | तुलसी के आगे एक दीपक रखना चाहिये, दरिद्रता मिटाने के नेक काम आता है |
इंडिया हल्ला बोल