धन तेरस पर्व का महत्त्व

राजा की पुत्रवधू को इस बात का पता चलता है और वह निश्चय करती है कि वह पति को अकाल मृत्यु के प्रकोप से अवश्य बचाएगी.  राजकुमारी विवाह के चौथे दिन पति के कमरे के बाहर गहनों एवं सोने-चांदी के सिक्कों का ढेर बनाकर लगा देती है तथा स्वयं रात भर अपने पति को जगाए रखने के लिए उन्हें कहानी सुनाने लगती है.

मध्य रात्रि जब यम रूपी सांप उसके पति को डसने के लिए आता है तो वह उन स्वर्ण चांदी के आभूषणों के पहाड़ को पार नहीं कर पाता तथा वहां बैठकर राजकुमारी का गाना सुनने लगाता है. ऐसे सारी रात बीत जाती है और सांप प्रात: काल समय उसके पति के प्राण लिए बिना वापस चला जाता है. इस प्रकार राजकुमारी अपने पति के प्राणों की रक्षा करती है मान्यता है की तभी से लोग घर की सुख-समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन अपने घर के बाहर यम के नाम का दीया निकालते हैं और यम से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करें.

धनतेरस कथा

एक बार भगवान विष्णु जी देवी लक्ष्मी के साथ पृथ्वी में विचरण करने के लिए आते हैं. वहां पहुँच कर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी सकते हैं कि वह दक्षिण दिशा की ओर जा रहे हैं अत: जब तक वह आपस न आ जाएं लक्ष्मी जी उनका इंतजार करें और उनके दिशा की ओर न देखें. विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी जी बैचैन हो जाती हैं और भगवान के दक्षिण की ओर जाने पर लक्ष्मी भी उनके पीछे चल देती हैं. मार्ग में उन्हें एक खेत दिखाई पड़ता है उसकी शोभा से मुग्ध हो जाती हैं.

खेत से सरसों के फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करती हैं और कुछ आगे जाने पर गन्ने के खेत से गन्ने तोड़ कर उन्हें खाने लगती हैं. तभी विष्णु जी उन्हें वहां देख लेते हैं अपने वचनों की अवज्ञा देखकर वह लक्ष्मी जी को क्रोधवश श्राप देते हैं कि जिस किसान के खेतों में उन्होंने बिना पूछे आगमन किया वह उस किसान की बारह वर्षों तक सेवा करें. इतना कहकर विष्णु भगवान उन्हें छोड़ कर अंतर्ध्यान हो जाते हैं. देवी लक्ष्मी वहीं किसान के घर सेवा करने लगती हैं.

किसान बहुत गरीब होता है उसकी ऐसी दशा देख कर लक्ष्मी जी उसकी पत्नि को देवी लक्ष्मी अर्थात अपनी मूर्ति की पूजा करने को कहती हैं. किसान कि पत्नि नियमित रूप से लक्ष्मी जी पूजा करती है तब लक्ष्मी जी प्रसन्न हो उसकी दरिद्रता को दूर कर देती हैं. किसान के दिन आनंद से व्यतीत होने लगते हैं और जब लक्ष्मीजी वहां से जाने लगती हैं तो वह लक्ष्मी को जाने नहीं देता. उसे पता चल जाता है कि वह देवी लक्ष्मी ही हैं अत: किसान देवी का का आंचल पकड़ लेता है. तब भगवान विष्णु  किसान से कहते हैं की मैने इन्हें श्राप दिया था जिस कारण वो यहां रह रही थी अब यह शाप से मुक्त हो गईं हैं.सेवा का समय पूरा हो चुका है.

इन्हें जाने दो परंतु किसान हठ करने लगता है तब लक्ष्मी जी किसान से कहती हैं कि

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