जब हम ही कार्टून हैं तो फिर ….

सर्वप्रथम मैं आप सभी से माफ़ी चाहता हूँ ! मैं किसी को कार्टून नहीं कह रहा हूँ ! मैं तो सिर्फ उन लोगों को कार्टून कह रहा हूँ जिनकी हरकतें कार्टून के जैसी हैं ! सच कहूँ तो आज देश में स्थिती बहुत खराब है , किसी का कार्टून बनाना किसी को कार्टून कहना अपराध है ! अभी कुछ दिनों पहले हमारी” बंगाल एक्सप्रेस ” का कार्टून किसी ने बना दिया था, बेचारे बनाने वाले की क्या हालत हुई , पूरे देश ने देखी ! कुछ दिनों से ” संसद ” में हंगामा हो रहा है ” बाबा साहब ” के कार्टून को लेकर, जब कार्टून को लेकर इतना बबाल होता है तो फिर लोग कार्टून बनाते क्यों हैं ! कभी हमारे देवी-देवताओं के कार्टून बनाये जाते हैं तो कभी राष्टवीरों के ! ” फेसबुक ” के कार्टून बड़े ही खतरनाक होते हैं फेसबुक वाले किसी को नहीं छोड़ते !

हम और आप तो रोज अपने घरों में कार्टून बनते हैं ! मेरे घर पर मेरे दौनों बेटे मेरे पूरे परिवार को कार्टून कहते हैं, तब तो हम बुरा नहीं मानते फिर यहाँ क्यों ? आप सोच रहे होंगे कैसे ? अरे भई सीधी सी बात है … जब बच्चे टेलीविजन देख रहे होते हैं और हम टेलीविजन बंद कर देते हैं तो बच्चे रोने लगते हैं और कहते हैं ! ” पापा कार्टून …. पापा कार्टून ” अगर मम्मी बंद कर दें तो ….” मम्मी कार्टून …. मम्मी कार्टून “,  परिवार का कोई भी सदस्य हो तो वो कार्टून ही कहलायेगा ! मैं तो कहता हूँ , सच तो ये है हमने ही अपने बच्चों को कई बार कार्टून बनाया है ! कैसे …. जब आप अपने छोटे बच्चों के साथ किसी के घर जाते हैं तो वहां क्या होता है ? हम अपने बच्चों से कहते हैं … बेटा नोज किधर है, तो बच्चा तुरंत अपनी नाक पकड़ लेता है , आईज कहाँ हैं ? इयर कहाँ है ? वगैरह … वगैरह … अरे ऐसा होता है ! कहीं आप भी अपने बच्चों को किसी के सामने कार्टून बना के तो पेश नहीं करते …. यदि करते हैं तो प्लीज ना करें वो बच्चे हैं ! अरे आपकी प्रेमिका – पत्नि भी तो आपको कई बार कार्टून कहती है ! ” एकदम कार्टून लग रहे हो ” तो क्या कोई बबाल होता है , नहीं होता है !

इस देश का कडवा सच तो ये है यहाँ जीते जागते इंसान की कोई वेल्यु नहीं है और हम कार्टून को मुद्दा बना रहे हैं ! अरे जिनके कार्टून ( बाबा साहब ) पर इतनी बहस हो रही है कभी उनके द्वारा लिखे ” संविधान ” का किसी ने पालन किया , नहीं किया ? गरीब अपने हक के लिए कार्टून बना दर – दर ठोकर खाते घूम रहा है उसकी परवाह किसी को नहीं ! हम सब तो सरकार की नजर में वो कार्टून हैं जो हमेशा उनको सरकार चलाने में दिक्कत पैदा करते हैं ! कभी मंहगाई का रोना ,तो कभी भ्रष्टाचार का रोना रोते रहते हैं ! आज आम आदमी की जो हालत है उसे खुद समझ नहीं आता कि , हम इंसान हैं या कार्टून ?

आपको क्या लगता है ?

संजय कुमार

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