भेड़ो की राह पर चलाना | मुझे नहीं पता यह कहावत किसने बनाई है लेकिन,
मुझे ऐसा लगता है कि इस कहावत के पिछे जरुर भेड़ो की कोई परेशानी रही
होगी | हुआ यह होगा कि जंगल में रहने वाले भेड़ो में से सबसे मोटे – ताजे
भेड़ को किसी कौवे ने यह कहा होगा कि हे चितकबरे भेड़ भाई आप तो बड़े
ताकतवर है आप की चर्चा तो दुर – दुर तक होती है | आप को जंगल का राजा
होना चाहिए था | फिर क्या था मोटे चितकबरे भेड़ ने चितकबरे भेड़ो की एक
सभा बुलाई होगी और सारे चितकबरे भेड़ एक पहाड़ी के नीचे इकट्ठा हुए होंगे
| मोटे चितकबरे भेड़ ने जगंल का राजा बनने की बात दिल में छुपाते हुए कहा
होगा कि मैंने पिछले साल सबसे ज्यादा लोगो से लड़ाई कि है और घास भी
ज्यादा चरा है इस बात को मै जंगल में किसी को बताये बगैर कुछ दिन तकघास नहीं चरुंगा इससे लोग खुश हो जायेगें और हमारे समुदाय का एक भेड़ जंगल का राजा बन जायेगा | बात जंगल का राजा बनने की थी तो सारे चितकबरे भेड़ो ने मान ली लेकिन चितकबरे भेड़ो में सबसे बुढा भेड़ ने मोटे चितकबरे भेड़ की मनसा को समझ कर कहा मै जंगल में दौड़ लगाउंगा दरअसल बुढा भेड़ जंगल वालों को यह दिखाना चाहता था कि वह भी जंगल का राजा बन सकता है.
भेड़ो ने दिन और तारीख निश्चित कर लिए | लेकिन इनके इन बैठक का पता भूरे भेड़ो को लग गई | फिर क्या था मोटे चितकबर भेड़ को जिस दिन से घास नहीं खाना था उसके कुछ देर पहले ही भूरे भेड़ो का एक सदस्य ने भी घास न खाने कि बात यह कहते हुए कह दिया कि मोटे चितकबरे भेड़ को मैं दिखाउंगा कि घास खाए बिना कैसे रहा जाता है और मैं उससे कुछ देर ज्यादा बिना घास खाए रहूंगा. जंगल में ये बात आग कि तरह फ़ैल गई | चितकबरे और भूरे भेड़ ने वैसा ही क्या जैसा उन्होंने कहा था | मोटे चितकबरे भेड़ ने जब देखा की उसकी इस घास न चराने वाली बात सफल नहीं हो रही है तो उसने जंगल के हर पहाड़ी पर एक एक – दिन बिना घास चरे रहने की बात कह दी |
फिर क्या था जंगल में अपनी हरकतों से लोगो के बीच चर्चा में रहने वाला दाढ़ी वाले बन्दर ने भी परिणाम जाने बिना की अच्छा होगा या बुरा पेड़ से उतर कर जंग दौड़ लाने कि बात कर दी ताकि जंगल के जानवर उसे फिर से सीधा साधा मानने लगे | जंगल में जानवरों का भेड़ो के नक्शे कदम पर चलने की बात को सुनकर लोग शायद कहने लगे, भेड़ो की राह पर चलाना | शायद तब से यह शब्द प्रचलन सभी आया है |
मानेन्द्र कुमार भारद्वाज