अब कहना भूल जायेंगे …. ये जी , ओ जी , सुनो जी

अक्सर हमारे माता-पिता , बड़े बुजुर्ग हम सबको एक ही सीख देते और बर्षों से देते आये हैं जिसे हम आज भी मानते हैं कि , हमें हमेशा अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए , हमेशा उनके नाम के साथ ” जी ” शब्द अवश्य जोड़ना चाहिए क्योंकि ये जी “ शब्द बड़ा ही आदरसूचक शब्द है और यदि हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो इस समाज में हमें सभ्य और संस्कारी समझा जाता है ! जैसे माताजी – पिताजी , चाचाजी-चाचीजी , दादाजी-दादीजी , नेताजी, मंत्रीजी , महात्माजी , और आजकल प्रतिदिन की चर्चा में हमारा सबका प्यारा २ जी “ ! इस देश में हिंदी बोलने वाले लगभग सभी घरों में ये शब्द ” जी ” हमने कई बार या हमेशा सुना है जैसे पत्नियाँ अपने पति को , ये जी सुनते हो , ओ जी सुनते हो , बगैरह – बगैरह कह कर पुकारती हैं ! इस ” जी ” में एक अपनापन और अपनों के लिए कहीं ना कहीं प्रेम छुपा हुआ होता है जो प्रतिदिन की बोलचाल की भाषा में उपयोग होता है ! किन्तु अब इस आदरसूचक ” जी ” के बारे में इस देश का बच्चा – बच्चा जानता है ! जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ उस ” जी ” की जिसने आज हमारे देश की सरकार का और सरकार के सहयोगियों के कारण सरकार चलाना मुश्किल कर दिया है !

इस ” जी ” ने इस देश के बड़े बड़े राजाओं , महाराजाओं , मंत्री – संत्री , आला-अफसर , बड़े बड़े उद्योगपतियों को जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया है ! इस देश में अब ” जी ” का नाम लेते ही अच्छे – अच्छों के छक्के छुट जाते हैं , अगर किसी के नाम के साथ ये ” जी ” लगा दिया जाय तो फिर ऐसा लगता है जैसे पैरों तले जमीन खिसक गयी हो ! इस देश में कोई सरकार , कोई भी पार्टी , कोई भी उद्योगपति अब ये नहीं चाहता कि कोई भी उसके सामने और उसके नाम के साथ ” जी ” का नाम भी ले , अब यदि कोई इस ” जी ” का नाम लेता भी है तो वो उसका सबसे बड़ा दुश्मन होता है !

अब आप बताएं कि , भविष्य में क्या होगा ? जब इस ” जी ” नाम की इस बला का इतना खौफ आज अच्छे – अच्छों की नींद उड़ा रहा है ! इस ” जी ” ने तो हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी “ का तो बुरा हाल कर रखा है अब उन्हें भी डर लगने लगा है कि कोई उन्हें प्रधानमंत्रीजी “ तो नहीं कह रहा है ! पी चिदम्वरम , प्रणव मुखर्जी भी आजकल ” जी ” के मारे इधर-उधर घूम रहे हैं पता नहीं कि, कहीं ये ” जी ” उनको भी औरों की तरह जेल की सलाखों के पीछे ना पहुंचा दे , वैसे भी आज सरकार की स्थति हमारे देश की क्रिकेट टीम के जैसी ही है तू चल मैं तेरे पीछे पीछे आया “ ! अब क्या होगा ? क्या हमारे बड़े बुजुर्ग अब हमें ” जी ” का संबोधन करने से मना करेंगे ? क्या हम अपने बच्चों को इस तरह के संस्कार देंगे जहाँ आदरसूचक ” जी ” को जिसे आज पूरा देश नफरत और बुरी द्रष्टि से देख रहा है ! क्या पति – पत्नि के आपस का प्रेम इस ” जी ” की बजह से खत्म हो जायेगा ? आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि जब इस ” २ जी ” ने इस देश में इतनी उथल -पुथल मचा रखी है तो आगे क्या होगा ? क्योंकि आजकल तो हमारे दिलो दिमाग पर जल्द ही ” ३ जी ” छाने वाला है !
क्या हम ” २ जी ” और ” ३ जी ” के इस मायाजाल से बाहर निकल पाएंगे ……….

संजय कुमार

Check Also

World literacy day । विश्व साक्षरता दिवस

इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *