पुलिस की नकामी का फायदा उठाते है अपराधी

देश भर में पुलिस चाहे जितना अपने-आप को चुस्त दुरुस्त और मुस्तैद होने का दावा कर रही हो, पर सच ये है कि पुलिस अब भी लाचार नज़र आती है। दिनों दिन अपराधी हाईटेक होते जा रहे है और यही नहीं उनकी तादाद भी बढती जा रही है। जिसके कारण देश की सुरक्षा में भी सेंध लग रही हैं। जिसका मुख्य कारण माना जाता है कि पुलिस बल मे कही ना कही अभी भी कमी है औरतकनीकि रुप से भी पीछे है चाहे हार्ड कोर क्राइम की बात करे या साइबर क्राइम की पुलिस को मुख्य बल की सबसे बडी समस्या से दो चार होना पडता है।

बात करते है उत्तर प्रदेश की तो पूरे प्रदेश में साईबर एक्सपर्ट  मात्र 3 से चार लोग है। जो इतने बडे प्रदेश में अपराध को रोकने के लिए तैनात है। अगर देखा जाय तो (20) बीस करोड़ की जनसंख्या पर तीन से चार लोग है जो इलेक्ट्रॉनिक अपराध को समझने की योग्यता रखते है। तो यह कहना गलत नही होगा कि पुलिसीया बल अभी भी नकाम है। यही कारण है कि प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ता ही दिखाई पड़ रहा है। प्रसाशन की माने तो अभी लोगो को साइबर क्राइम से निरटने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

पुलिस चाहती भी है कि उसे लोग मुहैय्या कराये जाय जिससे वह साईबर क्राइम से निपटने के लिये मजबूत हो सके। पुलिस का कहना है कि अगर प्राइवेट  साईबर एक्सपर्ट भी पुलिस के साथ काम करने चाहे तो कर सकते है। आप को याद होगा कि नोएडा शहर में पुलिस बल के पास जो वैन है वह प्राइवेट है जिसका मालिकाना हक पुलिसबल के पास नही हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस बल कितना सक्रीय हैं। पुलिस बल की सबसे मजबूत टुकडी रही मुखबिर सेल जो अब कमजोर होती जा रही है। जिसके कारण अपराध को रोक पाने में पुलिस सक्रिय नही हो पा रही है। एक समय हुआ करता था कि पुलिस मुखबिर तथा उनके संसाधन के साथ बड़े से बड़ा जघन्य अपराध को रोकने में कामयाब होते थे। लेकिन कमियों के चलते पुलिस प्रणाली बदहाल पडी है। ऐसे में अपराधियो के हौसले और बुलंद हो रहे है।

इंडिया हल्ला बोल से बात चीत में एसपी साईबर सेल मनोज झॉ (जो एटीएस के एपी भी रह चुके है) ने बताया की आज का जो अपराधी है वो पढ़ा लिखा है और उसके अपराध का तरीका भी बिल्कुल बदल गया है। अब अपराधी इक्का दूक्का घरो में डाका डालते है और लूट-पाट करते है। अब सारा खेल एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिग पर हो जाता है। जिससे निपटने के लिये साईबर एक्सपर्ट की जरुरत पड़ती है। जिसकी पुलिस के पास कमी है नये नय़े लडके इसे अज़ाम दे रहे है जबकि जो लोग पुलिस में है वो पुराने है और उन्हें इसकी ट्रेनिंग मात्र दी गयी है जो नाकाफी है। इसी तरह से हार्ड कोर क्रिमिनलो की मौज सिर्फ इसलिये होती है कि पुलिस के पास मैन पावर न होने की वजह से वो बच निकलते है। जो पुलिस के कुछ जवान भी है या तो वो बूढे है या भी बाबूगिरी में लगे हुये है ऐसे में पुलिस के सामने कुछ चीजे विकट समस्या के रुप में खड़ी है। आज अपराधिय़ो के
हौसले इतने बुलंद है कि वो अब पुलिस वालो पर हमला करने से भी नही हिचकते है।

जहाँ तहाँ पुलिस को भी इसका शिकार होना पडता है और ये पुलिस के गिरफ्त से जब बच निकलते है तो इनके हौसले और भी बुलंद हो जाते है। आज अगर देखा जाय तो पुलिस अपराधियो पर अकुंश लगाने में नाकाम है। पुलिस के नाकाम होने का एक बडा कारण है  पुलिस को जो हथियार और तकनीकि मुहैय्या कराये गये है। वो आज के अपराधियो से निपटने के लिये नाकाफी है। ऐसे में प्रशासन को विचार करने की जरुरत है तथा अपराधी का मनोबल बढने का एक और अहम कारण है कि जब कोई ऊपर के दबाव के चलते पुलिसिया कार्यवाही से बच जाता है तो वहीं अपराधी दूसरी बार जघन्य अपराध को अजांम देता है। आज तो पुलिस कई जगहो पर केस दर्ज करने से भी कतराती है। पुलिस अपनी इच्छा से कम काम करती है, बल्कि दबाव में ज्यादा काम करना पडता है। प्रशासन  को इस पर विचार करने की जरुरत है। जिससे सुरक्षा की नकामी को सही किया जा सके और पुलिस बल  सक्रीय हो सके।

सर्वेश मिश्रा

टी.वी. पत्रकार

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