वित्त मंत्री पी चिदंबरम के आम बजट पेश करने से पहले लोगों को बजट से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन जैसे – जैसे पी चिदंबरम का बजट भाषण आगे बढ़ता गया सारी उम्मीदें धराशायी होती गयी। आयकर में छूट पर मध्य वर्ग और आम आदमी की राहत की उम्मीदों ने दम तोड़ दिया तो महंगाई डायन से राहत दिलाने के लिए चिदंबरम के पिटारे से कुछ खास नहीं निकला।
चिदंबरम ने महिलाओं, युवाओं और गरीब तबके को जरूर भारत का चेहरा बताया और इन तीनों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए विशेष जोर देने की बात तो कही लेकिन क्या बड़ा सवाल ये है कि क्या बजट में विशेष प्रावधान के बाद भी इन भारत की महिलाओं, देश के युवा वर्ग और गरीब तबके के चेहरे पर खुशी दिखाई देगी..?
क्या इऩ तीन चेहरों पर खुशी लाने की चिदंबरम की कोशिश 2014 में यूपीए की हैट्रिक के साथ ही राहुल गांधी की राह आसान करने की सियासी चाल तो नहीं है..?
भारत में वर्तमान में खुद को सबसे असुरक्षित महसूस कर रही भारत के पहले चेहरे महिलाओं की अगर बात करें तो वित्त मंत्री चिदंबरम ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का हवाला देते हुए महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की राह खोलते हुए 1,000 करोड़ के निर्भया फंड निधि बनाने का प्रस्ताव दिया है…जिसका संरचना, कार्य क्षेत्र और प्रयोग का खाका तैयार करने का जिम्मा महिला एंव बाल विकास विभाग के पास रहेगा। इस फंड से पीड़ित महिलाओं को तत्काल मदद दी जाएगी। इसके साथ ही बजट में वित्त मंत्री ने महिलाओं के लिए पहला सरकारी महिला बैंक स्थपित करने की घोषणा की है।
लेकिन यहां सवाल ये है कि पीड़ित की क्या सिर्फ आर्थिक मदद से पीड़ित का दर्द कम हो जाएगा..?या फिर देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार आ पाएगा..?युवा वर्ग जिसे चिदंबरम भारत का दूसरा चेहरा मानते हैं वह आज बेरोजगारी का बड़ा दंश झेल रहा है या फिर अपने काबिलियत से समझौता कर औनी पौनी सैलरी पर काम करने को मजबूर है। हालांकि चिदंबरम ने युवा वर्ग को बेरोजगारी के दंश से बाहर निकालने के लिए कौशल विकास की योजनाओं को गति देने की घोषण की है और इसके तहत 1,000 करोड़ रूपए का फंड रखा है। चिदंबरम की मानें तो इसके तहत गरीब युवाओं की दक्षता को समझ कर उन्हें प्रशिक्षण के बजाए सरकारी या गैर सरकारी कंपनियों में नौकरी दिलाई जाएगी। 2013-14 में इसके लिए 90 लाख युवाओं को दक्ष कर नौकरी दिलाने की सरकार की योजना है।
सवाल यहां भी खड़ा होता है कि क्या सिर्फ गरीब युवाओं को दक्ष बनाकर उन्हें नौकरी दिलाने से बेरोजगारी के दंश से निजात मिल पाएगी..?क्या सिर्फ 90 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार उपलब्ध कराकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है..? हालांकि इससे भी युवाओं को ही फायदा होगा लेकिन बेहतर होता सरकार अगर देश के तकरीबन 5 करोड़ बेरोजगारों के विषय में सोचती और युवाओं को प्रशिक्षण के साथ ही रोजगार के नए अवसर सृजन करने की ओर कदम बढ़ाती या बेरोजगार युवाओं को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में कोई कदम उठाया जाता।
भारत के तीसरे चेहरे गरीबों की मुस्कान लौटेने के लिए सरकार ने डायरेक्ट कैश ट्रांस्फर स्कीम को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत हर साल 30 से 40 हजार रूपए सब्सिडी के रूप में गरीबों के खाते में डाल दिया जाएगा। भारत में गरीबों की अगर बात करें तो ये संख्या करीब 42 करोड़ से अधिक है…जिनमें से अधिकतर का बैंकों में खाता नहीं होना और भारत के ग्रामीण इलाकों में बैंकों की शाखाएं न होना भी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना की सफलता पर सवाल खड़े करने के लिए काफी है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम भले ही बजट से भारत के इन तीनों चेहरों पर मुस्कान लाने की बात कर रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं ये चिंता 2014 के आम चुनाव को लेकर ज्यादा दिखाई देती है। देश की तकरीबन 48 करोड़ महिलाओं के साथ ही तकरीबन 5 करोड़ बेरोजगार युवाओं और करीब 42 करोड़ से अधिक गरीबों को साधने की ओर कदम बढ़ाकर चिदंबरम दरअसल 2014 में यूपीए सरकार की हैट्रिक के साथ ही राहुल गांधी की राह आसान करने की एक कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि चिदंबरम ने महिलाओं, युवाओं और गरीबों के लिए तो सरकारी खजाना खोलने की ओर कदम बढ़ाएं हैं लेकिन बड़े सुधारों या सुधारवादी उपाय की घोषण से बचने की कोशिश की है ताकि 2014 में किसी तरह के राजनीतिक नुकसान से बचा जा सके..!
पत्रकार