दरअसल जिनके बच्चे महंगी प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ले रहे हो उन भ्रष्ट अफसरों से इमानदारी की उम्मीद यक़ीनन बेमानी होगी…बिलासपुर में पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री हेमचंद यादव और कई सियासी सूरमाओ की मौजूदगी में नवप्रवेशी बच्चो के माथे पर तिलक लगाकर शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया…सरकारी आयोजन था सो बच्चो को साफ़ सुथरे कपड़ो में स्कूल आने कहा गया था,कतार में बिठाकर शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकारी नारे काफी देर तक लगते रहे….कुछ देर के लिए लगा सारे कुम्भकरण एक साथ जाग गए…खैर सच सबको दिख रहा है…सरकार कितनी संवेदनशील है शिक्षा के प्रति इसके लिए शहर के कई स्कूलों में केवल जाकर देखने की जरुरत है….
इस पोस्ट को लिखते-लिखते मुझे याद आया की शहर के मराठी स्कूल की ओर किसी का ध्यान नही है जबकि वो धरोहर है…सन १९२२ से चटापारा में संचालित स्कूल की आज ये स्थिति है की ५ कक्षाओ में केवल १९ बच्चे पढने आ रहे है वो भी इस शिक्षा सत्र में दूसरी स्कूलों को जाने का मान बना चुके है वजह है स्कूल की जर्जर अवस्था,इसी तरह सकरी नगर पंचायत में तो कई सरकारी स्कूल भवनों के अभाव में किराये के मकान में लग रहे है…कुछ स्कूलों के बच्चे एडजेस्टमेंट में पढ़ रहे है….बिना भवनों के सरकारी स्कूल,बिना शेड के पकता मध्यान भोजन और शिक्षको की कमी के बावजूद सरकार के दावे की वो शिक्षा के लिए हर बरस करोडो खर्च कर रहे है निश्चित तौर पर सियासी जमात के झूठ और गिरगिट की तरह रंग बदलती सूरत पेश कर देती है…पिछले कई साल से सरकार शिक्षा के स्तर को सुधरने की बात कहती आ रही है मगर जो हकीकत है वो इस पोस्ट पर लगाई गई तस्वीरे साफ़ कर देती है….