बच्चों को साक्षर और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये छोड़ दी आराम की ज़िंदगी 

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खास बात ये है कि सामाजिक कार्यों को उन्होने अपना कर्तव्य बताया इसलिए दिनेश ने आज तक किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली है वो औऱ उनके वॉलंटियर्स बिना किसी स्वार्थ  के अपना काम कर रहे हैं।

उनके वॉलंटियर्स भी बिना किसी सेलरी के उनके साथ काम में लगे हैं। पैसा लेना तो दूर जरूरत पड़ने पर ये सभी वॉलंटियर्स अपनी ओर पैसा खर्च करने में नहीं हिचकते। ये बात इस चीज को बताने के लिए पर्याप्त है कि ये सभी लोग किस जज्बे के साथ काम कर रहे हैं।

एनजीओ से जुड़े लोगों की पृष्ठभूमि (Background) सम्पन्न परिवारों से है और ज्यादातर अच्छी नौकरियां कर रहे हैं।वही दूसरी ओर दिनेश ने हरियाणा सरकार के साथ मिलकर दिल्ली एनसीआर में कई चैरिटेबल डेंटल और हेल्थकेयर यूनिट शुरू करवाएं हैं, जहां गरीबों का मुफ्त में इलाज होता है।

दिनेश सादा जीवन जीते हैं बचत के नाम पर उनके पास ना के बराबर पैसा है वे अपना पूरा वेतन  भी अपने एनजीओ पर लगा देते हैं,ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद की जा सके।

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