मेरे दोस्तों मेरे भाइयों मेरी बहनों और माताओं जरा सावधान हो जाइए बाबा रामदेव जी कल तीन जून से फिर आंदलन शुरू करने जा रहे है इसलियें कहते है प्लीज़ अपने अपने लेडीज़ कपड़े सभी सम्भालकर रखना कहीं ऐसा ना हो के पुलिस आ जाए और आपके लेडीज़ कपड़े पहन कर बाबा जी गायब हो जाए बाबा जी तो बाबा जी है उनका क्या उनकी आधुनिक सोच है ..वोह बेचारे नोटों की मोह माया में पढ़े है और खुद को सन्यासी बाबाजी कहते है खैर कलियुग है इसमें राजा कलि का युग केसा होगा बताया गया है इसलियें बाबा जी लोग कैसे कैसे काम करेंगे और कर रहे हैं सब जानने लागे है …
सरकार गरीब है ..उद्ध्योग बंद हो रहे हैं लेकिन बाबाजी और साधू संत है के करोड़ पति से अरब पति और अरब पति से महा अरब पति हो रहे है हमारे देश के साधू संत महात्मा ऊँची चीज़ हैं और फिर बाबा जी का अतो कहना क्या हम बच्चे थे जब बाबा जी के बारे में पडाते थे जो आज देख रहे है उसके उलट है या तो हमे बाबा जी के बारे में स्कूलों में गलत पढ़ाया है या फिर यह उद्ध्योग्पति बाबाजी होते है यही सच है ……
खैर बाबा जी और उनके चाहने वालों की यह निजी जिंदगी है उससे हमे क्या ..वोह शलवार कुरता पहन कर भागें या फिर साडी ..लुंगी पहन कर भागें यह उनका निजी मामला है …बाबा जी ने मरते दम तक अपनी मांगे पूरी नहीं होने की शपथ लेकर आमरण अनशन की शुरुआत की थी बेचारे तपस्वी योगी बाबा थे एक हफ्ते के पहले ही टें बोल गए और फिर अपनी जान बचाने के लियें जनता से क्या वायदा भूल गए जब जान पर पड़ी तो बिना किसी के कहे खुद ने ही अनशन तोड़ दिया और लुप्त प्राणी की तरह ला पता हो गए ….अब जनाब फिर से शेर बनकर निकले है … भरी जनमत जुटाया है जो भी मुद्दे है जनहित के मुद्दे है सभी चाहते है के बाबा की जो मांगे हैं वोह शतप्रतिशत पूरी हो लेकिन होंगी केसे इसके लिए तो लड़ना होगा और बाबा के बारे में तो अब खुद के रणछोड़ दास होने से कहावत चरितार्थ हो गयी है के ठाकुर ने …… की फोज बनाई है और ठाकुर भी…… साबित हो गए है .. खैर कल तीन जून है अब देखते है के बाबा को खुद की जान की परवाह है खुद के व्यवसाय दवा उद्ध्योग की परवाह है या फिर फिर देश देश की परवाह है जनता चाहती है के बाबा जीते लेकिन बाबा का पिछला रूप देख कर जनता हताश है और सोचती है के छोडो यार क्यूँ मजाक करते हो आप तो जो रुपया अपने जमा किया है उससे गरीबों के लियें अनाथ आश्रम … अनपढ़ो के लियें स्कूल ..बेरोजगारों के लियें रोज़गार खोल दो ..लोग आपको पूजने लगेंगे लेकिन भाई इसमें सियासत नहीं होती यह सेवा होती है और हमे तो सेवा नहीं सियासत करना है ……..जनता को उकसाना है ..जनता की ताकत खुद के साथ होने की दिखाना है और फिर चुपचाप समझोते कर खुद की इज्ज़त और दवा फेक्टरियों सहित खुद के खिलाफ चल रहे अपराधिक प्रकरणों की जांचों से खुद को बचाना है
अख्तर खान अकेला