आज संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है, इसलिए आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक पेश करना सरकार की प्राथमिकता होगी। आज केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत लोकसभा में बिल पेश करेंगे।
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने शिक्षा और नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य तबकों के लिए मंजूरी दे दी थी।सत्ता पर काबिज भाजपा और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों से सदन में उपस्थित रहने को कहा।
राज्यसभा का शीतकालीन सत्र एक दिन आगे बढ़ा दिया गया है। दरअसल, मंगलवार तक संसद का आखिरी सत्र है। ऐसे में राज्यसभा के सत्र में एक दिन की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया गया था। अब राज्यसभा का अंतिम सत्र बुधवार को रहेगा।
कांग्रेस के साथ ही कई विपक्षी पार्टी इस बिल के समर्थन करने की बात पहले ही कह चुकी हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि निचले में ये विधेयक आसानी से पास हो जाएगा। लोकसभा में पेश होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में बिल लाया जाएगा।
बता दें कि संविधान के अनुसार आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान में आरक्षण देने का पैमाना सामाजिक असमानता को बनाया गया है। संविधान के आर्टिकल 16(4) में कहा गया है कि आरक्षण किसी समूह को दिया जाता है किसी व्यक्ति को नहीं।
अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाएगा तो ये समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा। ऐसे में अगर सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना है तो फिर संविधान में बदलाव करना होगा। इसके लिए दोनों सदनों में सरकार को बहुमत की जरुरत पड़ेगी।
अभी भारत में कुल 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इनमें अनुसूचित जाति (SC) को 15, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5 और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। मोदी कैबिनेट ने आर्थिक आधार पर जो 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है, वह 50 प्रतिशत के अलावा है।
यानि अगर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया जाता है, तो आरक्षण का प्रतिशत 59.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा। जबकि साल 1963 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आमतौर पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।