यूपी के निजी स्‍कूल अब नहीं वसूल सकेंगे मनमानी फीस,यूपी केबिनेट ने लिए अहम् फैसले

यूपी में अब निजी स्‍कूल अभिभावकों से मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे. 3 अप्रैल को लखनऊ में हुई यूपी कैबिनेट की बैठक में इस बाबत अहम फैसले लिए गए हैं. इसके जरिये अब प्रदेश के अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी. यूपी के उप मुख्‍यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस दौरान कहा कि अब स्‍कूल 7 से 8 फीसदी से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकेंगे.

कैबिनेट की बैठक में निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर नियमावली का प्रस्‍ताव पेश किया गया, जिसे पारित कर दिया गया है. इस नियमावली के दायरे में प्रदेश के 20 हजार रुपये से अधिक फीस लेने वाले स्‍कूल आएंगे. साथ ही नियमों का उल्‍लंघन करने पर स्‍कूलों के ऊपर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.

निजी स्कूलों को हर साल फीस बढ़ाने पर रोक, 7-8% से ज्यादा फीस वृद्धि अब नहीं हो सकती. क्‍लास 12 तक सिर्फ एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी.12वीं तक सिर्फ 1 बार एडमिशन फीस, 20 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूल दायरे में आएंगे.

नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर होगी कार्रवाई, अगर स्‍कूल नियमों का उल्‍लंघन करते हैं तो ऐसा पहली बार करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. दूसरी बार ऐसा करने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. अगर तीसरी बार भी नियमों को उल्‍लंघन किया गया तो स्‍कूल की मान्‍यता रद्द कर दी जाएगी.

अगर स्‍कूल फीस बढ़ाना चाहते हैं तो तो अध्यापकों के वेतन वृद्धि के आधार पर ही ऐसा संभव हो सकेगा यह भी 7-8% से अधिक नहीं होगी. अभी 100% तक फीस बढ़ा दी जाती थी.अधिकांश स्‍कूल अपने यहां कॉमर्शियल एक्टिविटी करते हैं.

उसकी आय को उन्हें स्‍कूल की आय में दिखाना होगा. इससे स्‍कूल की आय बढ़ जाएगी. अभी तक स्‍कूल यह कहते थे कि स्‍कूल की आय कम है. अब जब आय बढ़ेगी तो अध्यापकों की फीस बढ़ेगी और बच्चों की फीस कम होगी.अगर कोई अभिभावक या प्रबंधक इससे असहमत होता है तो एक अपीलिंग कमेटी बनेगी वहां सुनवाई की जा सकेगी.

स्कूल रेजिस्ट्रेशन फीस, एडमिशन फीस, परीक्षा शुल्क समेत 4 शुल्क अनिवार्य होंगे. जबकि बस, मेस, हॉस्टल जैसी सुविधाएं वैकल्पिक होंगी.स्‍कूल शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले अलग-अलग मदों के खर्च को डिस्प्ले करेगा. शुल्क प्रभार की रसीद देनी होगी.

5 वर्षों तक ड्रेस में परिवर्तन नहीं कर सकते. अगर ऐसा होगा तो मंडलायुक्त स्तर पर एक कमेटी होगी जो इसकी जांच करेगी.सभी खर्चों को वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा. त्रैमासिक, अर्ध वार्षिक शुल्क ही लिया जा सकता है. सालभर की फीस एक साथ लेने पर भी पाबंदी.

निर्धारित दुकान से किताब और यूनिफार्म खरीदने को बाध्य नहीं होंगे अभिभावक, तय दुकान से जूते-मोजे, यूनिफार्म खरीदने को बाध्य नहीं कर सकते स्‍कूल.अभिभावकों की शिकायत दूर करने के लिए बनाया जा रहा है अध्यादेश.

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