उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 48.14 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की और मेरिट-कम-मीन्स वित्तीय सहायता योजना के तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले 6,820 छात्रों को चेक सौंपे। छात्रों को चेक बांटते हुए सिसोदिया ने कहा यह दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है कि दिल्ली का कोई भी छात्र जो प्रतिभाशाली है और मेहनत करने को तैयार है, वह पढ़ाई के मौके से नहीं चूके ।
यह भी कि कोई भी बच्चा जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, वह धन की कमी के कारण अपनी पढ़ाई बंद नहीं करे।डिप्टी सीएम ने कहा कि इस योजना की शुरुआत में 14 करोड़ रुपये के बजट से 2500 छात्र लाभान्वित हुए थे, यह बहुत खुशी की बात है कि इस वर्ष 6,820 छात्र इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
सिसोदिया ने कहा इस साल इस योजना का बजट बढ़ाकर 48 करोड़ रुपये कर दिया गया है।सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं, उन्होंने कहा कि बेरोजगारी आज देश का सबसे बड़ा संकट है। उन्होंने कहा हमें भारत को नौकरी देने वालों का देश बनाना है।
उन्होंने छात्रों से नौकरी प्रदाता बनने और ऐसी कंपनियां बनाने की अपील की कि विदेशों में रहने वाले बच्चे भारतीय कंपनियों में नौकरी पाने का सपना देखने लगें। उन्होंने कहा कि कोई भी देश सरकारों या उनकी नीतियों के बल पर नहीं, बल्कि बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा के बल पर विकसित राष्ट्र बनता है।
डिप्टी सीएम ने हितग्राहियों से अपील की कि अब यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे एक अच्छा व्यवसायी, अच्छा अधिकारी, अच्छा शिक्षक बनें और देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं।पिछले 3 वर्षो में 87 करोड़ रुपये की राशि के साथ 13,000 से अधिक छात्रों को इस योजना के तहत लाभान्वित किया गया है।
यह योजना राशन कार्डधारक परिवारों के बच्चों को शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से कम है, उन्हें 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता और जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन 6 लाख रुपये से कम, उन्हें 25 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाती है।