राजधानी दिल्ली में अगले कुछ दिनों में पड़ सकती है कोरोना वैक्सीन की कमी

दिल्ली में 50,000 से अधिक टीकाकरण नियमित आधार पर किया जा रहा है, मगर राष्ट्रीय राजधानी को अगले सप्ताह वैक्सीन की कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अब केवल छह-सात दिनों के लिए ही स्टॉक है।

इस मसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में चर्चा हुई, ताकि शहर में कोरोनावायरस की स्थिति और टीकाकरण की कवायद के बारे में वास्तविक जानकारी मिल सके।

दिल्ली सरकार के एक बयान में कहा गया है स्वास्थ्य अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वैक्सीन का स्टॉक मात्र अगले 6-7 दिनों के लिए उपलब्ध है। शाम तक दिल्लीभर में लोगों को कुल 23,02,752 टीके दिए गए, जिनमें 19,09,851 लाभार्थी शामिल हैं, जिन्हें पहली खुराक मिली और 3,92,901 को दूसरी खुराक दी गई।

हालांकि, बुधवार तक पिछले 24 घंटों में दिल्लीवासियों को 68,422 टीके दिए गए। अब तक 55,877 लोगों को पहली खुराक और 12,545 लोगों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।पिछले कुछ दिनों में कई राज्य सरकारें सहायता मांगने केंद्र के पास पहुंची हैं।

कई राज्य सरकारों ने दावा किया था कि उनका वैक्सीन स्टॉक लंबे समय तक नहीं चलेगा।दिल्ली उन राज्यों में शामिल है, जिन्होंने वैक्सीन की कमी की सूचना दी है और केंद्र से दूसरी खेप भेजे जाने की मांग की है।

मांग करने वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड और असम शामिल हैं।
जबकि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और झारखंड ने शिकायत की थी कि वे टीकों की कमी का सामना कर रहे हैं, कई अन्य राज्यों से रिपोर्ट सामने आई कि वैक्सीन सेंटर जल्दी बंद हो रहे हैं या आपूर्ति न हो पाने के कारण लोगों को लौटना पड़ रहा है।

अगर केंद्र इसे उपलब्ध कराने में विफल रहता है तो दिल्ली को वैक्सीन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, केंद्र ने बुधवार को देश में वैक्सीन की कमी की खबरों को खारिज कर दिया।उधर, केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में शहर में स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों पर भी चर्चा हुई।

बैठक में दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर की क्षमता बढ़ाने और कई अन्य ढांचागत जरूरतों पर भी चर्चा हुई।मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार का ध्यान बिस्तर की क्षमता बढ़ाने की ओर है, जिससे उन लोगों के लिए पर्याप्त उपचार सुनिश्चित होगा जिन्हें तत्काल सहायता की जरूरत है।

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