धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित हत्या की जांच को लेकर रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं है. अदालत ने सीबीआई से कहा है कि स्थिति रिपोर्ट में कुछ भी ठोस नहीं है. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष साप्ताहिक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा.
मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सीलबंद लिफाफे में कुछ भी नहीं है. पीठ में न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे.
पीठ ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा सीलबंद लिफाफे में कुछ भी नहीं है. हम कुछ ठोस चाहते हैं. वाहन को जब्त कर गिरफ्तारी राज्य पुलिस द्वारा की गई. आपके लोगों ने मकसद और तर्क के बारे में कुछ भी नहीं बताया है.
मेहता ने प्रस्तुत किया कि 28 जुलाई को सुबह की सैर के दौरान जज को टक्कर मारने वाले ऑटो को चला रहे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले में विवरण सामने आएगा. पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय से हर हफ्ते मामले की निगरानी जारी रखने को कहा.
पीठ ने कहा मुख्य न्यायाधीश को मामले की निगरानी जारी रखने दें. हम मामले को लंबित रखेंगे, हम सीबीआई को हर हफ्ते झारखंड उच्च न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं.’पीठ ने जोर देकर कहा कि देश में चिंताजनक स्थिति है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा न्यायिक अधिकारियों को सुरक्षित महसूस करने के लिए माहौल बनाने की जरूरत है. शीर्ष अदालत अगले सप्ताह 17 अगस्त को लंबित मामले के साथ न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से जुड़े मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर विचार करेगी. शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को देश भर के न्यायाधीशों की सुरक्षा के एक बड़े मुद्दे की जांच करने का फैसला किया था.