अगले राष्ट्रपति पर फैसला आज शाम पांच बजे तक आएगा

एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद और यूपीए की मीरा कुमार में से एक नेता अगला प्रेसिडेंट होगा। दोनों में से कोई भी जीते, देश को केआर नारायणन के बाद दूसरा दलित राष्ट्रपति मिलना तय है। वे 1997 में चुने गए थे। वैसे, पलड़ा कोविंद का भारी है। वोटिंग से पहले उन्हें 63% वोटों का सपोर्ट था। लेकिन उम्मीद से ज्यादा करीब 70% वोटिंग उनके फेवर में होने का अनुमान है।

बता दें कि वोटिंग बीते सोमवार को हुई थी। इस दौरान 65 साल में सबसे ज्यादा 99% वोट डाले गए।लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल और इस इलेक्शन के रिटर्निंग ऑफिसर अनूप मिश्रा ने बताया कि वोटों की काउंटिंग 11 बजे से शुरू होगी।उधर, कोविंद के गांव परौंख (कानपुर देहात ) में उनकी जीत के लिए बुधवार शाम से हवन और पूजा की जा रही है। उनका परिवार और रिश्तेदार दिल्ली पहुंच गए हैं।

सबसे पहले, पार्लियामेंट का बैलेट बॉक्स खोला जाएगा। उसके बाद, दूसरे राज्यों से आए बैलेट बॉक्स खोले जाएंगे। राज्यों के वोट की काउंटिंग अल्फाबेटिकल बेस पर होगी।वोट की काउंटिंग चार अलग-अलग टेबल पर की जाएगी। करीब आठ राउंड में यह पूरी की जाएगी।पिछले दो प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के दौरान मौजूद रहे इलेक्शन कमीशन के अफसर ने बताया कि रिजल्ट आमतौर पर शाम को पांच बजे घोषित किया जाता है।

राष्ट्रपति इलेक्शन में सोमवार को करीब 99% वोटिंग हुई थी। रिटर्निंग अधिकारी अनूप मिश्रा ने बताया कि यह अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग है।लोकसभा (543) और राज्यसभा (233) में कुल 776 सांसद हैं। लोकसभा और राज्यसभा से दो-दो सीट खाली हैं। बिहार के सासाराम से बीजेपी के सांसद छेदी पासवान के पास वोटिंग का अधिकार नहीं था।

इस तरह 771 सांसदों को वोट डालना था, लेकिन 768 सांसदों ने ही वोटिंग की। वहीं, टीएमसी के तापस पाल, बीजेडी के रामचंद्र हंसदह और पीएमके के अंबुमणि रामदौस ने वोट नहीं डाले। ये सभी लोकसभा सांसद हैं। दोनों सदनों में 99.61% वोटिंग हुई।वहीं, देश में 31 विधानसभाएंं हैं। इनमें 4120 एमएलए हैं। इनमें 10 सीट खाली हैं और एक विधायक अयोग्य है। इस तरह, 4,109 विधायकों को वोट डालना था, लेकिन 4,083 ने वोटिंग की। यानी, कुल 99.37% वोटिंग हुई।

1) दलित: इस बार दोनों कैंडिडेट मीरा कुमार और कोविंद, दलित हैं। दोनों में से कोई भी जीते, देश को केआर नारायणन के बाद दूसरा दलित राष्ट्रपति मिलना तय है। 

2) एनडीए: अगर कोविंद जीत जाते हैं तो देश को एपीजे अब्दुल कलाम के बाद दूसरी बार एनडीए की पसंद का राष्ट्रपति मिलेगा। 

3) यूपीए: अगर मीरा कुमार जीत जाती हैं तो यूपीए को प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी महिला राष्ट्रपति बनवाने का क्रेडिट जाएगा। 

4) बीजेपी: 37 साल में पहली बार सर्वोच्च पद पर उसका नेता रहेगा। 6 अप्रैल 1980 को पार्टी बनी थी। 1990 में पहली सरकार राजस्थान में बनी। 1996 में देश में उसकी केंद्र में पहली सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने थे। कलाम एनडीए की पसंद के राष्ट्रपति बने थे, लेकिन वे भाजपा के नहीं थे। भैरोंसिंह शेखावत बीजेपी के थे जो उपराष्ट्रपति थे। कोविंद के रूप में सर्वोच्च पद ऐसा नेता संभालेगा जो बीजेपी से जुड़ा रहा है।

5) यूपी:कोविंद के जीतने की स्थिति में 9 प्रधानमंत्री देने वाले यूपी से देश को पहला प्रेसिडेंट मिलेगा। हालांकि, मीरा कुमार का भी यूपी से कनेक्शन है। 1985 में जब उन्होंने यूपी के बिजनौर से ही पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था तो मायावती और रामविलास पासवान जैसे मजबूत दलित नेताओं को हराया था।

कोविंद (71) एक अक्टूबर 1945 को कानपुर की डेरापुर तहसील के परौंख गांव में जन्मे। 1978 में SC में वकील के तौर पर अप्वाइंट हुए। 1980 से 1993 के बीच SC में केंद्र की स्टैंडिंग काउंसिल में भी रहे। कोविंद 1977 में तब पीएम रहे मोरारजी देसाई के पर्सनल सेक्रेटरी बने। 
बीजेपी का दलित चेहरा हैं। पार्टी ने बिहार इलेक्शन में गवर्नर के तौर पर उनके दलित चेहरे को प्रोजेक्ट किया था। कोविंद दलित बीजेपी मोर्चा के अध्यक्ष रहे। ऑल इंडिया कोली समाज के प्रेसिडेंट हैं। 

कोविंद 1994 से 2000 तक और उसके बाद 2000 से 2006 तक राज्यसभा सदस्य रहे। अगस्त 2015 में बिहार के गवर्नर अप्वाइंट हुए।वे 1990 में घाटमपुर से एमपी का इलेक्शन लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद वो 2007 में यूपी की भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़े, पर ये चुनाव भी वे हार गए। उनके परिवार में पत्नी सविता, एक बेटा और एक बेटी है।कोविंद बीजेपी के नेशनल स्पोक्सपर्सन रह चुके हैं, लेकिन वे लाइमलाइट से इतने दूर रहते हैं कि प्रवक्ता रहने के दौरान कभी भी टीवी पर नहीं आए।

मीरा (72) का जन्म 31 मार्च 1945 को बिहार के आरा जिले में हुआ। देहरादून और जयपुर में स्कूली पढ़ाई की। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और मिरांडा हाउस कॉलेज की पासआउट हैं। वे एमए और एलएलबी हैं।1973 में इंडियन फॉरेन सर्विस ज्वाइन की। वे भारत-मॉरिशस ज्वाइंट कमीशन की मेंबर रहीं। ब्रिटेन और स्पेन में इंडियन हाईकमीशन में भी काम किया।

1980 के बाद वे राजनीति में आईं। 1985 में जब उन्होंने यूपी के बिजनौर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था तो मायावती और रामविलास पासवान जैसे मजबूत दलित नेताओं को हराया था। यूपीए-1 सरकार में बिहार के सासाराम से चुनकर आने के बाद उन्हें मनमोहन सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया। यूपीए-2 के वक्त 2009 में उन्हें स्पीकर बनाया गया। वे पहली महिला स्पीकर रहीं। 

मीरा 8वीं, 11वीं, 12वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा की सदस्य रहीं हैं। स्पीकर बनने वाली वे जीएमसी बालयोगी के बाद दूसरी दलित रहीं। पहली बार सांसद बनीं तो वे सदन में सबसे पीछे की बेंच पर बैठती थीं। स्पीकर बनने के बाद उन्होंने खुद यह बात बताई थी।मीरा के पति मंजुल कुमार सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। परिवार में दो बेटियां स्वाति-देवांगना और एक बेटा अंशुल है।

प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को पद संभालेंगे। उसी दिन प्रणब का फेयरवेल संसद के सेंट्रल हॉल में होगा। स्पीकर सुमित्रा महाजन स्पीच देंगी। वे प्रणब को एक स्मृति चिह्न और सभी सांसदों के सिग्नेचर वाली बुक देंगी। इसके बाद हाई-टी होगी।रिटायरमेंट के बाद प्रणब उसी बंगले में शिफ्ट होंगे जहां पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रहते थे। बताया जाता है कि प्रणब रिटायरमेंट के बाद अपनी ऑटोबायोग्राफी का तीसरा पार्ट लिखना चाहते हैं।

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