मालेगांव ब्लास्ट केस में स्पेशल एनआईए कोर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और अन्य के खिलाफ आरोप तय कर सकती है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसी मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की पिटीशन को खारिज कर दिया था। आरोपियों ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाने की परमिशन को चुनौती दी थी।
इसी साल अगस्त में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। वे नौ साल से जेल में बंद थे। बता दें कि 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम धमाका हुआ था। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 100 लोग जख्मी हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित सहित 12 लोग गिरफ्तार किए गए थे।
कर्नल पुरोहित और अन्य की पिटीशन में कहा गया था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की परमिशन देने वाले राज्य के ज्यूडिशियल डिपार्टमेंट को ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेनी होती है।पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा था मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी लेकिन ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया। लिहाजा मंजूरी का आदेश गलत है।
इसका विरोध करते हुए एनआईए के वकील संदेश पाटील ने कहा पुरोहित ने मंजूरी दिए जाने का मामला तब उठाया था, जब उनकी बेल पिटीशन पर हाईकोर्ट में दलील दी जा रही थी।हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता और इस पर निचली अदालत विचार कर सकती है। हाईकोर्ट ने पुरोहित को जमानत देते हुए भी यही बात कही थी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने एनआईए के वकील की दलीलों को स्वीकार कर लिया और पिटीशन को खारिज कर दिया था।बता दें कि 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में बम ब्लास्ट हुआ था। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 100 लोग जख्मी हुए थे। ब्लास्ट उस वक्त किए गए थे, जब लोग रमजान के दौरान नमाज पढ़ने जा रहे थे। इन ब्लास्ट के पीछे हिंदू राइट विंग ग्रुप्स से जुड़े लोगों का हाथ होने की बात सामने आई थी।