दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ चल रहे सीलिंग अभियान से संरक्षण प्रदान करने के लिये दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में संशोधन के मामले में आगे प्रगति पर रोक लगा दी. न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि इस दादागिरी पर रोक लगानी ही होगी. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम द्वारा हलफनामे दाखिल नहीं करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की.

इन निकायों को हलफनामे में यह बताना था कि न्यायालय के नौ फरवरी के निर्देश के बावजूद मास्टर प्लान में संशोधन का प्रस्ताव करने से पहले क्या इसके पर्यावरण प्रभाव का आकलन किया गया था.न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने टिप्पणी की कि प्राधिकारियों को कोई परवाह नहीं है और वे न्यायालय के आदेश के बावजूद हलफनामे दाखिल नहीं कर रहे हैं जो अवमानना के सिवाय और कुछ नहीं है.

पीठ ने कहा यह अवमानना है, अवमानना से कम कुछ नहीं है. यह दादागिरी रोकनी ही होगी. पीठ ने सख्त लहजे में कहा आप इस देश की शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हो रहे हैं और आप यह कहना चाह रहे हैं कि मानो आप जो मन में आयेगा कर सकते हैं और आप जवाब दाखिल नहीं करेंगे.मास्टर प्लान 2021 तो महानगर के विस्तार और शहरी नियोजन सुनिश्चित करने का खाका है और प्रस्तावित संशोधनों का मकसद दुकान एवं रिहायशी भूखण्डों और परिसरों को रिहायशी भूखण्डों के समकक्ष लाना है. 

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बीजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा और पार्षद गुंजन गुप्ता को अवमानना के आरोप से मुक्त कर दिया. सीलिंग अभियान में व्यवधान डालने के आरोप में इन दोनों को न्यायालय ने पहले कारण बताओ नोटिस जारी किये थे. हालांकि, पीठ ने वीडियो फुटेज में इस्तेमाल की गयी अपमानजनक भाषा और विरोध कर रहे लोगों द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के अपमान पर नाराजगी जाहिर की.

पीठ ने कहा आप प्रधानमंत्री और किसी भी मुख्यमंत्री का सिर्फ इसलिए अपमान नहीं कर सकते कि वे आपके राजनीतिक दल के नहीं है. आपको इनका सम्मान करना चाहिए. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. आज आप केन्द्र शासित दिल्ली के मुख्यमंत्री का अपमान कर रहे हैं. कल आप किसी राज्य के मुख्यमंत्री का और फिर हमारे देश के प्रधानमंत्री का अपमान करेंगे.

पीठ ने कहा यही सब आप कर रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री का इससे कोई लेना देना नहीं है. समिति अपना काम कर रही है.उनका ( मुख्यमंत्री का) इससे कोई सरोकार नहीं है. पीठ ने शर्मा और गुप्ता को अपने समर्थकों को यह निर्देश देने के लिये कहा कि वे दुबारा ऐसा नहीं करें. शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति द्वारा पेश सीडी का जिक्र करते हुये पीठ ने कहा कि उसे इसमें दो बातें आपत्तिजनक मिली हैं- पहला एक राजनीतिक दल के झण्डे और दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिये अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल.

सुनवाई के दौरान इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने नौ फरवरी के आदेश का जिक्र करते हुये कहा कि न्यायालय ने नौ बिन्दु तय किये थे और कहा कि प्राधिकारियों को इस बारे में हलफनामे दाखिल करने थे लेकिन किसी ने भी ऐसा नहीं किया है. इस पर पीठ ने कहा उन्हें( प्राधिकारियों) इसकी परवाह नहीं है. वे क्यों परवाह करें? दिल्ली के लोग मर सकते हैं.पीठ ने कहा हम दिल्ली के मास्टर प्लान में संशोधन पर रोक लगा देंगे. हम कहेंगे कि संशोधनों की आवश्यकता नहीं है.

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *